..तो अस्पताल में जला दी जाती हैं दवाएं !
बलरामपुर : ग्रामीण अस्पतालों में मनमानी थमने का नहीं ले रही है। बाहर से दवाएं तो प्रसव करान
बलरामपुर : ग्रामीण अस्पतालों में मनमानी थमने का नहीं ले रही है। बाहर से दवाएं तो प्रसव कराने के नाम पर वसूली की जा रही है। यही नहीं, अस्पताली कचरे को भी परिसर में जला दिया जाता है। जिसका धुआं गर्भवती व नवजात के लिए किसी जहर से कम नहीं है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र शिवपुरा में मरीजों को बाहर की दवा लिखी जाती है। प्रसव के नाम पर वसूली किए जाने के भी आरोप लग चुके हैं। यहां आने वाले मरीजों को ओपीडी के बजाए चिकित्सक अपने आवास पर देखते हैं। दवाएं भी बाहर की लिखी जाती है। दीवार के किनारे दवा, सिरींज, बीगो व टीकाकरण वैक्सीन का आधा प्रयोग किया गया वायल जला दिया जाता है। यहां आधी जली दवाओं व अस्पताली कचरे का ढेर लगा है। इन पर मक्खियां भिनभिनाती रहती हैं। राकेश, छोटकऊ व दिलीप ने बताया कि आवारा पशु अस्पताली कचरे को पूरे परिसर में फैलाते हैं। पुरानी दवाएं व अस्पताली कचरे के निस्तारण की कोई व्यवस्था नहीं है। अस्पताल के ओपीडी के सामने आवारा कुत्ते घूमते रहते हैं। जिससे मरीजों को भय बना रहता है। प्रशासनिक व स्वास्थ्य अधिकारियों ने अस्पताल की दुर्दशा का जायजा लेना मुनासिब नहीं समझा। जिससे लोगों की पीड़ा कम होने का नाम नहीं ले रही है।
गर्भवती व नवजात के लिए जहर है धुआं
-एक वरिष्ठ चिकित्सक की मानें तो अस्पताली कचरे से निकलने वाला धुआं लोगों को सांस का मरीज बनाता है। गर्भवती व नवजात के लिए वह किसी जहर से कम नहीं है। मां के सांस लेने से यह धुआं गर्भ में पल रहे बच्चे के श्वसन तंत्र को खराब कर देता है। ऐसे वातावरण में रहने से नवजात को भी कई बीमारियां हो सकती हैं।
नोटिस तक सिमट गई जांच
-फरवरी के पहले सप्ताह में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र श्रीदत्तगंज में टीकाकरण वैक्सीन जलाने का मामला प्रकाश में आया था। सीएमओ की जांच में इसकी पुष्टि भी हुई लेकिन अधिकारियों ने दोषी पर कार्रवाई न करते हुए नोटिस देकर कोरम पूरा कर लिया।
कराई जाएगी जांच
-सीएमओ डॉ. घनश्याम ¨सह का कहना है कि दवा व बायोमेडिकल वेस्ट जलाना गलत है। जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।