डॉक्टर नदारद, लाइन में लगे रहे मरीज
चित्र परिचय संवादसूत्र गैंसड़ी (बलरामपुर) सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। सरकार चाहे जितना वादा कर ले मरीजों को बेहतर वनिश्शुल्क उपचार का दावा निर्थरक साबित हो रहा है। यहां जाच की सुविधा न होने के कारण प्राइवेट पैथालाजी पर मरीजों के जेब हल्के हो रहे राजपुर बकौली से आईं सरस्वती व पुरुषोत्तमपुर निवासी जैबुन्निशा ने बताया कि डॉक्टर 15-20 मरीजों को देखने के बाद उठकर कमरे पर चले गए हैं। बताया कि निजी केंद्र पर जांच कराने के लिए 800 रुपये खर्च करना पड़ा।
बलरामपुर :
दृश्य एक : दोपहर 1.15 बजे, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र गैंसड़ी (लठावर)। ओपीडी में बैठे मोहनलाल तीन वर्षीय बेटे शिवांश वर्मा को एंटी रैबीज वैक्सीन लगवाते मिले। बताया कि मंगलवार को कुत्ते ने काट लिया था। सुई लगवाने के लिए सात रुपये की सिरिज व टिटनेस की सुई दस रुपये में मेडिकल स्टोर से खरीद कर लाया हूं। सिरिज न होने की बात कहकर कर्मियों ने लौटा दिया था। दृश्य दो : 1.20 बजे। चिकित्सक डॉ. सबूर, डॉ. अजय गोस्वामी, डॉ. सुशील व अधीक्षक डॉ. वीरेंद्र आर्या की कुर्सी खाली मिली। मेज पर 20-25 मरीजों का पर्चा रखा हुआ था। अस्पताल की पैथोलॉजी भी खाली मिली। बाहर बैठे मरीज डॉक्टर का इंतजार करते मिले। कैमरा देखकर चीफ फार्मासिस्ट रमाकांत दौड़कर ओपीडी में आ पहुंचे। दृश्य तीन : राजपुर बकौली से आईं सरस्वती व पुरुषोत्तमपुर निवासी जैबुन्निशा ने बताया कि डॉक्टर 15-20 मरीजों को देखने के बाद उठकर कमरे पर चले गए हैं। बताया कि निजी केंद्र पर जांच कराने के लिए 800 रुपये खर्च करना पड़ा। अस्पताल की लैब में कभी कभार ही जांच की जाती है। चिकित्सालय में एक्सरे नहीं होता है। लालपुर निवासी सत्यप्रकाश, रेशमी उपाध्याय व गोल्डी ने बताया कि एक घंटे से चिकित्सक का इंतजार कर रहीं हैं।
ये तीन उदाहरण मात्र बानगी हैं। अस्पताल में हर दिन मरीजों और तीमारदारों के साथ ऐसा होता रहता है, लेकिन जिम्मेदार आखें बंद किए रहते हैं। चिकित्सकों को समय से बैठने के आदेश के बावजूद उनकी मनमानी मरीजों पर भारी पड़ती है।
कोट
सीएचसी अधीक्षक डॉ. वीरेंद्र आर्या प्रशिक्षण में आगरा गए हुए हैं। अन्य चिकित्सकों को ओपीडी में बैठकर इलाज करना चाहिए था। अनुपस्थित चिकित्सकों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया जाएगा।
डॉ. घनश्याम सिह, सीएमओ