यह कैसी मजबूरी, योजना की नहीं मंजूरी
ष्ट॥ष्ट हृड्डठ्ठस्त्रठ्ठड्डद्दड्डह्म ष्ट॥ष्ट हृड्डठ्ठस्त्रठ्ठड्डद्दड्डह्म ष्ट॥ष्ट हृड्डठ्ठस्त्रठ्ठड्डद्दड्डह्म ष्ट॥ष्ट हृड्डठ्ठस्त्रठ्ठड्डद्दड्डह्म ष्ट॥ष्ट हृड्डठ्ठस्त्रठ्ठड्डद्दड्डह्म ष्ट॥ष्ट हृड्डठ्ठस्त्रठ्ठड्डद्दड्डह्म ष्ट॥ष्ट हृड्डठ्ठस्त्रठ्ठड्डद्दड्डह्म ष्ट॥ष्ट हृड्डठ्ठस्त्रठ्ठड्डद्दड्डह्म
बलरामपुर : सदर ब्लॉक में स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र नंदनगर सरकारी योजनाओं से महरूम है। प्रसूताओं को पौष्टिक आहार देकर उन्हें बीमारियों से बचाने के लिए संचालित जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम (जेएसएसके) यहां लागू ही नहीं है। अस्पताल में प्रतिमाह 50 से 60 प्रसव होते हैं, लेकिन प्रसूताओं को भोजन व नाश्ता नसीब न होने से भूखे ही वापस लौटना पड़ रहा है। जिससे उनका स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। ऐसे में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने के लिए लागू की गई योजना पर पानी फिरता नजर आ रहा है। ये है योजना :
- संस्थागत प्रसव को बढ़ावा देने के लिए जून 2011 में लागू की गई इस योजना में स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती प्रसूताओं को सुबह-शाम पौष्टिक भोजन, सुबह दूध व फल एवं शाम को चाय व बिस्कुट दिए जाने का नियम है। इसके लिए कार्यदायी संस्थाएं भी निर्धारित की गई हैं, लेकिन सीएचसी नंदनगर, सादुल्लाहनगर, पीएचसी महदेइया, हरिहरगंज, बलदेवनगर, सिसई, गिधरैय्या समेह कई अस्पताल में योजना लागू नहीं है। प्रतिमाह होते हैं 40 से 50 प्रसव :
- सीएचसी नंदनगर क्षेत्र का प्रमुख अस्पताल होने से बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। फार्मासिस्ट सौरभ चौबे बताते हैं कि यहां प्रतिदिन औसतन 200 मरीजों की ओपीडी होती है। प्रतिमाह 40 से 50 प्रसव भी होते हैं। अस्पताल में जेएसएसके योजना लागू न होने से प्रसूताओं को भोजन नहीं मिल रहा है। तीमारदारों को प्रसूता के लिए भी घर से भोजन लाना पड़ता है। योजना में शामिल नहीं है सीएचसी :
- सीएमओ डॉ. घनश्याम सिंह का कहना है कि सीएचसी नंदनगर समेत कई अस्पतालों में जेएसएसके योजना संचालित नहीं है। जिसके चलते प्रसूताओं को भोजन व नाश्ता नहीं मिल पा रहा है। जल्द ही उसे योजना में शामिल किया जाएगा।