सोहेलवा में बढ़ी तेंदुए की आमद, तस्वीरें हुईं कैद
रमन मिश्र, बलरामपुर : सोहेलवा के घने जंगल तेंदुआ समेत अन्य जंगली जानवरों को रास आ रहे हैं। वन्यजीवों को आश्रय व इनकी सुरक्षा के लिए वन विभाग की कवायद रंग लाने लगी है। वन्यजीवों की मौजूदगी जानने के लिए जंगल में लगाए गए कैमरा ट्रैप सेल के जरिए एक लाख 60 हजार तस्वीरें ली गईं हैं। इन तस्वीरों के मुताबिक सोहेलवा में तेंदुए की आमद बढ़ी है। साथ ही फि¨शग कैट, लेपर्ड कैट, कॉमन कैट व जंगल कैट की बहुलता सामने आई है। इसके अलावा बिज्जू व लकड़बग्घा की तस्वीरें कैद की गई हैं। इन जानवरों की वास्तविक गणना के लिए अफसरों ने इन कैमरों को भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूडब्ल्यूआइ) को भेजा है। इन्हीं तस्वीरों के आधार पर सोहेलवा में जंगल के राजा (बाघ) की मौजूदगी का भी पता चल सकेगा। जिसकी रिपोर्ट पर जानवरों की संख्या में उपाय पर उनके संरक्षण के उपाय किए जाएंगे।
बलरामपुर : सोहेलवा के घने जंगल तेंदुआ समेत अन्य जंगली जानवरों को रास आ रहे हैं। वन्यजीवों को आश्रय व इनकी सुरक्षा के लिए वन विभाग की कवायद रंग लाने लगी है। वन्यजीवों की मौजूदगी जानने के लिए जंगल में लगाए गए कैमरा ट्रैप सेल के जरिए एक लाख 60 हजार तस्वीरें ली गईं हैं। जिसमें तेंदुए की आमद बढ़ने के साथ ही फि¨शग कैट, लेपर्ड कैट, कॉमन कैट व जंगल कैट की बहुलता सामने आई है। इसके अलावा बिज्जू व लकड़बग्घा की तस्वीरें कैद हुई हैं। इन जानवरों की वास्तविक गणना के लिए अफसरों ने कैमरों को भारतीय वन्य जीव संस्थान (डब्ल्यूडब्ल्यूआइ) को भेजा है। इन्हीं तस्वीरों के आधार पर सोहेलवा में जंगल के राजा (बाघ) की मौजूदगी का भी पता चल सकेगा। जिसकी रिपोर्ट के आधार पर उनके संरक्षण की कार्य योजना बनाई जाएगी। 180 स्थानों पर लगे थे कैमरे :
-452 वर्ग किलोमीटर में फैले सोहेलवा जंगल में मौजूद वन्यजीवों की संख्या का पता करने के लिए 180 स्थानों पर कैमरे लगाए गए थे। कैमरा ट्रैप सेल के माध्यम से जंगली जानवरों की गतिविधियों व उनके पगचिह्नों को कैद किया गया। वन विभाग के अफसरों ने प्रथम चरण में ट्रांजिट सर्वे के दौरान करीब एक माह तक वन्यजीवों के हरकतों की निगरानी की। जिसमें जंगल में तेंदुओं की बहुतायत का पता चला। जिम्मेदार के बोल :
-डीएफओ रजनीकांत मित्तल का कहना है कि कैमरा ट्रैप सेल के माध्यम से ली गई तस्वीरों में तेंदुए की बहुलता सामने आई है। डब्ल्यूडब्ल्यूआइ के आंकलन के पश्चात बाघों की मौजूदगी व अन्य जीवों की संख्या का पता चल सकेगा। साथ ही जंगल में बाघ मिलने पर सोहेलवा को टाइगर रिजर्व बनाने की मांग की जाएगी। तेंदुए के संरक्षण के लिए कवायद की जा रही है।