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पीएम ने सुना दीक्षा का किस्सा, डा. प्रतिमा बनीं शिक्षा पर्व का हिस्सा

आठ सितंबर को शिक्षा पर्व को संबोधित करेंगीं डा. प्रतिमा कान्वेंट की तरह स्कूल बस में आते प्रावि मद्दौभीख के नौनिहाल

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Sep 2021 10:23 PM (IST)Updated: Sat, 04 Sep 2021 10:23 PM (IST)
पीएम ने सुना दीक्षा का किस्सा, डा. प्रतिमा बनीं शिक्षा पर्व का हिस्सा
पीएम ने सुना दीक्षा का किस्सा, डा. प्रतिमा बनीं शिक्षा पर्व का हिस्सा

-शिक्षक दिवस विशेष :

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फोटो आ रही है::::

बलरामपुर: शिक्षक चाहे तो विद्यालय के साथ विद्यार्थियों की तकदीर संवार सकते हैं, बशर्ते इसके लिए उनको लगन व मेहनत करनी होगी। जिले के प्राथमिक विद्यालय धुसाह प्रथम के शिक्षकों ने कुछ ऐसा ही किया है। प्रधानाध्यापिका डा. प्रतिमा सिंह के प्रयासों से विद्यालय को जिले का पहला माडल स्कूल होने का गौरव मिला है।

राष्ट्रीय आइसीटी (इन्फारमेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलाजी) शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित डा. प्रतिमा सिंह को शिक्षक पर्व के लिए शिक्षा मंत्रालय ने आमंत्रित किया है। आठ सितंबर को वह इस पर्व को संबोधित करेंगी। इससे पहले छठे डिजिटल इंडिया दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से डा. प्रतिमा वर्चुअल संवाद कर दीक्षा एप का अनुभव साझा कर चुकी हैं। यही नहीं, शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ कर मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पत्रिका में भी विद्यालय का नाम दर्ज कराया है।

डाक्यूमेंट्री फिल्म में छाई विद्यालय की दास्तां:

परिषदीय स्कूलों की सूरत बदलने के लिए यूं तो आपरेशन कायाकल्प के तहत पानी की तरह पैसे बहाए जा रहे हैं। वहीं, शिक्षा क्षेत्र रेहरा बाजार का प्राथमिक विद्यालय मद्दौभीख एक नजीर बनकर उभरा है। कान्वेंट को मात देते हुए आधुनिक संसाधनों से लैस इस विद्यालय में छात्र संख्या कुछ इस कदर बढ़ी कि बैठने को जगह न बची।

प्रधानाध्यापक आत्माराम पाठक ने विद्यालय प्रबंध समिति की मदद से अतिरिक्त शिक्षण कक्ष का निर्माण करा दिया। कभी साधारण सरकारी स्कूलों में गिना जाने वाला यह विद्यालय इंग्लिश मीडियम स्मार्ट स्कूल बनकर उभर चुका है। यहां के शिक्षक मोबाइल व एलईडी टीवी से नौनिहालों को रोचक तरीके से शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। कोरोना काल में भी शिक्षक ने गांव में जाकर मुहल्ला कक्षाएं चलाई, ताकि शिक्षा की धार टूटने न पाए। प्रधानाध्यापक की सकारात्मक सोच का परिणाम है कि इस विद्यालय के बच्चे भी कान्वेंट की तरह स्कूल बस में बैठकर आते-जाते हैं। राज्य परियोजना कार्यालय ने प्रेरक विद्यालय के रूप में चुनकर यहां की डाक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई है।


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