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ओम नम: शिवाय: बिजलीपुर शिव मंदिर का श्रावण मास में बढ़ जाता है महात्म्य

भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालु रात पहर से ही यहां डेरा डाल देते हैं। वे भोर पहर राप्ती नदी में स्नान कर शिवलिंग पर जलाभिषेक करने को उमड़ पड़ते हैं।

By JagranEdited By: Published: Wed, 04 Aug 2021 10:20 PM (IST)Updated: Wed, 04 Aug 2021 10:20 PM (IST)
ओम नम: शिवाय: बिजलीपुर शिव मंदिर का श्रावण मास में बढ़ जाता है महात्म्य
ओम नम: शिवाय: बिजलीपुर शिव मंदिर का श्रावण मास में बढ़ जाता है महात्म्य

बलरामपुर: जिला मुख्यालय से करीब चार किलोमीटर दूर बिजलीपुर स्थित शिवमंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। श्रावण मास में इस मंदिर का महात्म्य बढ़ जाता है। भोलेनाथ का जलाभिषेक करने के लिए श्रद्धालु रात पहर से ही यहां डेरा डाल देते हैं। वे भोर पहर राप्ती नदी में स्नान कर शिवलिंग पर जलाभिषेक करने को उमड़ पड़ते हैं। मान्यता है कि मां बिजलेश्वरी देवी मंदिर के बगल बने इस प्राचीन मंदिर में श्रावण मास में की गई पूजा निश्चित रूप से फलदायक होती है। इतिहास:

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स्थानीय लोगों के मुताबिक 19वीं शताब्दी में बिजलेश्वरी देवी मंदिर के उत्तर की ओर शिव मंदिर का निर्माण कराया गया। कहा जाता है कि शक्ति के बिना शिव अधूरे हैं। मां बिजलेश्वरी देवी मंदिर में भक्तों की अगाध श्रद्धा है। इसलिए शिव शक्ति दोनों का सानिध्य पाने के लिए लालजी मिश्र ने यहां मंदिर का निर्माण शुरू कराया। जनसहयोग से मंदिर निर्मित होने के बाद लोग यहां पूजा-अर्चना करने लगे। यहां आने वाले श्रद्धालु देवी के दर्शन के बाद भोलेनाथ की पूजा करने जरूर जाते हैं। विशेषता:

श्रावण मास शुरू होते ही मंदिर में तैयारियां शुरू कर दी जाती है। मंदिर की रंगाई-पोताई, प्रकाश व श्रद्धालुओं के लिए पेयजल की व्यवस्था मंदिर प्रशासन करता है। जलाभिषेक के लिए पुरुष व महिलाओं की लाइन अलग होती है। मंदिर परिसर में फूल, माला, बेलपत्र व पूजन सामग्री की दुकानें भी लगी रहती हैं। श्रद्धालुओं को पानी की व्यवस्था के लिए पर्याप्त हैंडपंप लगे हैं। कजरी तीज व शिवरात्रि पर यहां लगने वाला मेला इसकी विशेषता का द्योतक है। -श्रावण मास में शिव मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुटती है। मां बिजलेश्वरी देवी मंदिर से शिव मंदिर का सटा होना अलौकिक संयोग है। कारण शक्ति के बिना शिव अधूरे हैं। हर साल यहां श्रावण में कांवड़ियों का हुजूम जलाभिषेक के लिए पहुंचता है, लेकिन इस बार कोरोना के कारण कांवड़ यात्रा नहीं निकली है। मंदिर में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को मास्क लगाने की नसीहत दी जाती है।

-संजय त्रिपाठी, पुजारी -सावन सोमवार व कजली तीज पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होती है। इसके लिए मंदिर की विशेष साज-सज्जा की जाती है। मंदिर आने वाले भक्त परिसर में स्थित धर्मशाला में रात विश्राम भी करते हैं।

-कृष्णपाल भारती, महंत


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