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कुदरत की गोद में किसानों के लिए संजीवनी है चित्तौड़गढ़ जलाशय

भारत-नेपाल सीमा स्थित पिपरी बानगढ़ में बना चित्तौड़गढ

By JagranEdited By: Published: Sun, 28 Nov 2021 09:34 PM (IST)Updated: Sun, 28 Nov 2021 09:34 PM (IST)
कुदरत की गोद में किसानों के लिए संजीवनी है चित्तौड़गढ़ जलाशय
कुदरत की गोद में किसानों के लिए संजीवनी है चित्तौड़गढ़ जलाशय

बब्बू प्रताप सिंह, गैंसड़ी (बलरामपुर) : भारत-नेपाल सीमा स्थित पिपरी बानगढ़ में बना चित्तौड़गढ़ जलाशय प्राकृतिक छटा का नायाब नमूना है। पर्यटन की अपार संभावनाओं को समेटे इस जलाशय को जीर्णोद्धार की दरकार है। ठंड का अहसास होते ही यहां मेहमान पक्षियों के कलरव का विहंगम ²श्य देखने के लिए प्रदेश के कोने-कोने से प्रकृति प्रेमी लग्जरी गाड़ियों से पहुंच रहे। प्रकृति की गोद में सेल्फी लेकर यहां के पर्यटन को यादगार बना रहे हैं।

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चित्तौड़गढ़ जलाशय में नेपाल व भारत के पहाड़ी नालों का संगम है। इस जलाशय में पहाड़ी नाला भांभर, दारा, मूसी, घुघरौर व हमसोटी नाका समेत कई छोटे नालों का पानी एकत्र होता है। नेपाल के पानी को संग्रहित करने वाला यह जलाशय जल संरक्षण का बेहतरीन उदाहरण है। साथ ही जलाशय का अनुपयोगी पानी किसानों के फसलों की सिचाई के लिए मुफीद है। जलाशय से निकली 171.3 किलोमीटर लंबी नहर से खेतों तक पानी पहुंचाया जाता है।

वर्ष 1997 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने इसका सुंदरीकरण कराकर लोकार्पण किया था। तब से यह देश-विदेश के पर्यटकों का आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

जलाशय की भौतिक स्थिति: चित्तौड़गढ़ जलाशय का जल ग्रहण क्षेत्र 14 वर्ग किलोमीटर है। जलाशय से निकली गैंसड़ी मुख्य नहर 17.8 किलोमीटर लंबी है। इतनी ही लंबाई पचपेड़वा मुख्य नहर की भी है। जलाशय का निर्माण वर्ष 1977-78 में शुरू हुआ था। परियोजना की लागत 3406.5 लाख रुपये थी। वर्ष 1997 में जनपद सृजन के बाद सुंदरीकरण की कवायद शुरू हुई।

तत्कालीन सांसद सत्यदेव सिंह व पूर्व विधायक स्वर्गीय बिदूलाल के प्रयास से जलाशय का कायाकल्प हुआ था।

सदाबहारी है यहां की अनुपम छटा: चित्तौड़गढ़ जलाशय पर्यटन की ²ष्टि से भी अपना विशेष स्थान रखता है। सर्दी हो या गर्मी, सभी मौसम में यहां पड़ोसी राष्ट्र नेपाल व स्थानीय पर्यटकों की आमद बराबर बनी रहती है। प्रकृति की अनुपम छटा को समेटे इस जलाशय के जंगल से सटे मनोरम ²श्य को लोग कैमरे में कैद करना व सेल्फी लेना नहीं भूलते हैं। सर्दियों में विदेशी पक्षियों का प्रवास इसकी सुंदरता में चार चांद लगा रहा है। प्रतिदिन बड़ी संख्या में लग्जरी गाड़ियों से लोग यहां पहुंच रहें हैं।

सुंदरीकरण की दरकार : बांध पर 24 वर्ष पहले ईंट खड़ंजा लगा था। जो जीर्ण-शीर्ण अवस्था में पहुंच गया है। सड़क मरम्मत योग्य है। बांध पर सेल्फी प्वाइंट बनाए जाने की जरूरत है, जिससे आसानी से इस विहंगम ²श्य को लोग कैमरे में कैद कर सकें। पथ प्रकाश के लिए लगे खंभे पर बल्ब नहीं हैं। सिल्ट सफाई न होने से बांध के सपोर्ट में लगे बोल्डर पर झाड़ियां उग आईं हैं। विधायक शैलेश कुमार सिंह शैलू का कहना है कि पर्यटन सरकार की पहली प्राथमिकता में है। जलाशय को पर्यटन के रूप में विकसित करने के लिए शासन से मांग की गई है।


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