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जिदगी से थे निराश, नियमित देखभाल ने जगाई आस

संयम व सुरक्षा को दरकिनार कर एड्स का शिकार हुए 1800 लोग जिदगी से निराश थ

By JagranEdited By: Published: Tue, 30 Nov 2021 09:17 PM (IST)Updated: Tue, 30 Nov 2021 09:17 PM (IST)
जिदगी से थे निराश, नियमित देखभाल ने जगाई आस
जिदगी से थे निराश, नियमित देखभाल ने जगाई आस

बलरामपुर :

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संयम व सुरक्षा को दरकिनार कर एड्स का शिकार हुए 1800 लोग जिदगी से निराश थे। एक तरफ सामाजिक प्रतिष्ठा का भय तो दूसरी तरफ जिदगी पर खतरा मंडरा रहा था। हताशा के घोर अंधेरे में जिला मेमोरियल अस्पताल स्थित एआरटी सेंटर से उम्मीद की किरण दिखी।

स्वजन के साथ व चिकित्सकों की परामर्श पर लोक-लाज को त्याग कर इलाज कराना शुरू कर दिया। नियमित इलाज व देखभाल से 250 से अधिक लोग स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। इन मरीजों की देखभाल के प्रति स्वास्थ्य महकमा भी संवेदनशील है। मरीज किसी कारणवश यदि अस्पताल न आ पाएं तो उनके घर काउसंलर भेजकर उन्हें इलाज कराने के लिए प्रेरित किया जाता है। यही नहीं दवा न ले जाने वाले मरीजों के घर भी दवाएं पहुंचाई जाती है।

बीमारी का नाम सुनते ही छा गया था अंधेरा :

-एक मरीज ने बताया कि वजन घटने समेत अन्य परेशानियों के कारण मैंने एड्स की जांच कराई। रिपोर्ट पाजिटिव आते ही जीवन में अंधेरा छा गया था। समझ नहीं पा रहा था कि किससे और कैसे बताऊं, कहां जाऊं या फिर मर जाऊं। किसी ने एआरटी सेंटर का पता बताया। यहां काउंसिलिग के साथ नियमित इलाज कराकर मैं पूरी तरह से स्वस्थ हूं। नाराज हुई जिदंगी में फिर से खुशियां है।

इलाज ही नहीं बढ़ा रहे जीने का हौसला :

-मरीजों की नियमित सीडी फोर,वायरल लोड, एलएफटी, केएफटी, टीबी की जांच होती है। साथ ही गंभीर मरीज को भर्ती कर डा. ऋषि श्रीवास्तव इलाज करते हैं। काउंसलर उमंग श्रीवास्तव प्रतिदिन फोन से मरीजों से बात कर उन्हें इलाज के लिए प्रेरित करते हैं। सेंटर के बगल मन कक्ष में मनोचिकित्सक डा. अशोक कुमार मरीजों के मन की झिझक दूर कर उसमें हीन भावना या सामाजिक असुरक्षा की भावना नहीं पैदा होने देते हैं। यही नहीं योग वेलनेस सेंटर में प्रशिक्षक अमरजीत योगाभ्यास कराने के साथ उन्हें आयुर्वेद से निरोगी होने के गुर सिखा रहे हैं। मुख्य चिकित्साधीक्षक डा. अरुण कुमार श्रीवास्तव ने बताया कि बीमारी का शिकार होने के बाद भी 250 मरीज स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। अब तक 2200 मरीज मिल चुके हैं।


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