उपेक्षा संग अव्यवस्था का दर्द, लाइलाज बना सीएचसी का मर्ज
मुख्य चौराहे से 700 मीटर दूर अस्पताल तक रास्ता भी नहीं नर्सिंग होम की होर्डिंग होड़ में गुम हुई सीएचसी की पहचान
पवन मिश्र, बलरामपुर :
सबसे पुरानी तहसील उतरौला के लोगों का दर्द दूर करने की जिम्मेदारी जिस अस्पताल पर है,वह खुद ही उपेक्षा व अव्यवस्था के दर्द से लाचार है। जर्जर सड़क, गेट पर ही निजी पैथोलाजी व मेडिकल स्टोर, दूषित पेयजल आदि समस्याओं को जनप्रतिनिधि व जिम्मेदार बखूबी जानते हैं, लेकिन उसे दूर करना मुनासिब नहीं समझते। इसका कारण चाहे निजी अस्पतालों के प्रति दरियादिली हो या कुछ और, जो यहां आने वाले मरीजों का दर्द दोगुना कर देती है। मुख्य सड़क से करीब 700 मीटर दूर अंदर बने सीएचसी तक पहुंचने के लिए सड़क टूटी है। यह हाल तब है जब मुख्यमंत्री का फरमान है कि सरकारी अस्पतालों के रास्तों को गड्ढा मुक्त बनाया जाए। जनप्रतिनिधियों की इस लापरवाही के साथ प्रशासनिक शिथिलता भी कम नहीं है। चौराहे से अस्पताल के रास्ते पर एक बोर्ड तक नहीं है। इससे अस्पताल ढूंढ़ना मुश्किल हो जाता है।
गली में पड़े फैमिली फोल्डर, हर कदम पर वसूली:
अस्पताल के सामने कीचड़ से घिरे इंडिया मार्का नल पानी की जगह बीमारी उगल रहे हैं। गैर संचारी रोगियों के लिए फैमिली फोल्डर गली में कूड़े की तरह रखा है। स्टाफ नर्स से मिन्नत कर रहे तीमारदार ने बताया कि वह विधायक के गांव का है। प्रसव के लिए 700 रुपये दे चुका है, लेकिन और मांगा जा रहा है। बड़हरा भिठौरा की शबाना ने बताया कि हैंड ग्लब्स हो या दवाएं सब बाहर से लानी पड़ती है। ग्लूकोस के लिए 200 व डिलीवरी के लिए 1200 लिए जा रहे हैं। आशा का भुगतान मार्च से ही लंबित है।
संबंधित के खिलाफ होगी कार्रवाई :
उतरौला सीएचसी अधीक्षक डा. चंद्र प्रकाश का कहना है कि वसूली के आरोपों की जांच कर संबंधित कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। सड़क व नल के लिए कई बार पत्र लिख चुके हैं, लेकिन कुछ नहीं हुआ। फैमिली फोल्डर जल्द ही वहां से हटा दिया जाएगा। सुधार का पूरा प्रयास किया जा रहा है।