मदद से पहले ही राख हो जाती है आग से बचाव की आस
बलरामपुर गर्मी हो या सर्दी आग की घटनाओं पर काबू करने के लिए अग्निशमन विभाग के वाहन नहीं हैं।
जासं, बलरामपुर :
गर्मी हो या सर्दी, आग की घटनाओं पर काबू करने के लिए अग्निशमन विभाग के पास पर्याप्त साधन है और न ही कर्मचारी। जिन वाहनों के भरोसे आग पर काबू किए जाने का दावा किया जा रहा है, वह नाकाफी हैं। आग पर काबू पाने के लिए प्रतिवर्ष अग्निशमन विभाग पर लाखों रुपये वेतन व अन्य संसाधनों पर खर्च किया जा रहा है। बावजूद इसके लोगों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। आग से प्रतिवर्ष संपत्ति के साथ जनहानि हो रही है, लेकिन कर्मचारी व संसाधनों की कमी दूर नहीं हो रही है। अब तक के जनप्रतिनिधियों ने इस गंभीर मुद्दे को अपने चुनावी एजेंडे में कभी शामिल नहीं किया। यही वजह है कि अपर्याप्त संसाधन होने पर आग बुझाने के समय महकमा खुद असहाय हो जाता है। अग्निशमन केंद्र को मदद की दरकार :
-23 लाख से अधिक की आबादी वाले बलरामपुर जिले में अग्निशमन केंद्र को खुद मदद की दरकार है। तीन तहसील, नौ विकास खंड व 800 ग्राम पंचायतों को आग की विभीषिका से बचाने के लिए दमकल विभाग दलदल में फंसा है। संसाधनों के साथ कर्मियों की कमी मदद में बाधा बनती है। धर्मपुर में परिषदीय विद्यालय के भवन में अग्निशमन केंद्र है। केंद्र पर कर्मियों के रहने के लिए पर्याप्त सुविधा नहीं है। दमकल वाहन में पानी भरने की भी व्यवस्था नहीं है। आग लगने की सूचना मिलने पर दमकल कर्मी पहले पानी के लिए चीनी मिल जाते हैं। वहां से पानी लेने के बाद घटना स्थल के लिए निकलते हैं। ऐसे में दमकल कर्मियों के पहुंचने से पहले सबकुछ राख हो जाता है। बलरामपुर से पचपेड़वा की दूरी 55 किलोमीटर है। मुख्यालय से दमकल वाहनों के उपरोक्त स्थानों तक पहुंचने में घंटों का समय लगता है। आग की लपटें मिनटों में पूरा गांव साफ कर देती हैं। इसलिए तहसील तुलसीपुर में फायर स्टेशन की स्थापना की आवश्यकता है। तुलसीपुर थाना परिसर में एक बैरक में संसाधन विहीन फायर स्टेशन है। सुविधा के नाम पर एक छोटा व एक बड़ा दमकल वाहन है। उतरौला में हाल ही में छह साल में 45.177 लाख की लागत से तैयार अग्निशमन केंद्र शुरू हुआ है।
संसाधनों का है टोटा :
-अग्निशमन विभाग में चालक के सात पदों के सापेक्ष पांच की तैनाती है। 53 पदों के सापेक्ष 43 फायरमैन हैं। सात बड़े दमकल वाहनों के सापेक्ष तीन उपलब्ध हैं। छोटी गाड़ी तीन हैं, जबकि छह होनी चाहिए। अग्निशमन प्रभारी राजमंगल सिंह का कहना है कि संसाधन के रूप में तीन बड़ी व तीन छोटी गाड़ी से अग्निकांड पीड़ितों की मदद की जाती है। संसाधन बढ़ाने एवं कर्मियों की तैनाती के लिए उच्चाधिकारियों को पत्र लिखा गया है। सीमित संसाधन से ही हर संभव मदद की जाती है।