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आस्था की हिलोरों के साथ मजबूत होगा नेपाल से संबंध

नवरात्र में शक्तिपीठ देवीपाटन में उमड़ता है नेपाली श्रद्धालुओं का हुजूम सीमा खुलने से आसान हुआ दर्शन

By JagranEdited By: Published: Wed, 06 Oct 2021 10:17 PM (IST)Updated: Wed, 06 Oct 2021 10:17 PM (IST)
आस्था की हिलोरों के साथ मजबूत होगा नेपाल से संबंध
आस्था की हिलोरों के साथ मजबूत होगा नेपाल से संबंध

दिलीप सिंह, पचपेड़वा, बलरामपुर: वैश्विक महामारी कोरोना का कहर शांत होने के बाद भारत-नेपाल सीमा खुल गई है। करीब डेढ़ साल बाद दोनों देशों के श्रद्धालु सिद्ध शक्तिपीठों में जाकर माथा टेक सकेंगे। नवरात्र में नेपाल राष्ट्र के श्रद्धालु शक्तिपीठ देवीपाटन आकर पूजन-अर्चन करते हैं। साथ ही भारत के लोग नेपाल स्थित प्रभुनाथ बाबा व पशुपतिनाथ जाकर शीश नवाते हैं। लंबे अरसे बाद सिर्फ श्रद्धालुओं की आस्था को बल मिलेगा।

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भारत-नेपाल के रोटी-बेटी का संबंध सदियों पुराना है। धार्मिक आस्था दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत बनाती है। यूं तो चैत्र नवरात्र में नेपाल के दांग चौघड़ा से आने वाली पीर रत्ननाथ यात्रा का उल्लास देखते ही बनता है। वहीं, शारदीय नवरात्र में भी बड़ी संख्या में नेपाल के श्रद्धालु मां पाटेश्वरी के दर्शन-पूजन के लिए उमड़ते हैं। कोरोना महामारी के प्रभाव से 24 अप्रैल 2020 से सीमा पर आवागमन प्रतिबंधित था। इससे लोगों की आस्था भी बंदिशों में कैद होकर रह गई थी। अब इंडो-नेपाल बार्डर खुलने के बाद दोनों देशों में श्रद्धालु बेरोक-टोक आने-जाने लगे हैं।

नेपाली सिद्धपीठों पर जाने की मिली आजादी:

ब्लाक प्रमुख पचपेड़वा मनोज तिवारी ने बताया कि नेपाल राष्ट्र में कई ऐसे सिद्धपीठ हैं, जहां भारत के लोग हर साल माथा टेकने पहुंचते हैं। नेपाल सीमा खुलने के बाद अपने वाहन से भंसार कराकर श्रद्धालु आसानी से दर्शन-पूजन का लाभ ले सकेंगे।

पचपेड़वा के सलीम अख्तर ने बताया कि नेपाल सरकार ने बार्डर खोलने का निर्णय लेकर अच्छा कदम उठाया है। यहां की बेटियों की शादी नेपाल में हुई है। कोरोना काल में लाकडाउन होने पर पगडंडी से लेकर मुख्य मार्ग तक रास्ता बंद था। जगह-जगह नेपाली फोर्स ही दिखती थी। अब आवागमन शुरू हो जाने से रिश्तों की डोर फिर से मजबूत हो रही है।

कोहरगड्डी निवासी सुनील त्रिपाठी व गैंसड़ी के कमालुद्दीन खान का कहना है कि नेपाल सीमा खुलने के बाद अब पर्यटन के साथ व्यापार में भी तेजी आएगी। डेढ़ साल से सीमा पार रहने वाले रिश्तेदारों से सिर्फ फोन पर बात हो पाती थी। अब आमने-सामने मिलने से रिश्तों में मिठास आएगी।


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