दावों की दवा से सुधरती रही नौनिहालों की सेहत
दावों की दवा से सुधरती रही नौनिहालों की सेहतदावों की दवा से सुधरती रही नौनिहालों की सेहतदावों की दवा से सुधरती रही नौनिहालों की सेहतदावों की दवा से सुधरती रही नौनिहालों की सेहतदावों की दवा से सुधरती रही नौनिहालों की सेहतदावों की दवा से सुधरती रही नौनिहालों की सेहत
बड़ा मुद्दा : एक साल पहले नीति आयोग की रिपोर्ट में संसदीय क्षेत्र श्रावस्ती के दोनों जिलों बलरामपुर व श्रावस्ती के माथे पर कुपोषण का कलंक लग चुका है। इसके बाद भी कुपोषण मिटाने के दावे महज कागजों तक सिमट कर रह गए। बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग कुपोषण दूर करने में पूरी तरह फिसड्डी साबित हो रहा है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत बच्चों को पोषाहार न मिलने से कुपोषित बच्चों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। नेशनल न्यूट्रिशन स्ट्रैटजी रिपोर्ट में बलरामपुर जनपद के कुपोषित बच्चों की संख्या प्रदेश में तीसरे पायदान पर है। वहीं गांवों में चिकित्सक, आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के दिलचस्पी न लेने से जिला मेमोरियल अस्पताल में बना पोषण पुनर्वास केंद्र भी अपनी उपयोगिता साबित नहीं कर पा रहा है। बाल विकास परियोजना नगर क्षेत्र में एक भी आंगनबाड़ी केंद्र को अपना भवन तक नसीब नहीं है। अब तक के जनप्रतिनिधियों ने भी इसमें दिलचस्पी नहीं दिखाई, जिससे कुपोषण का कलंक मिटने का नाम नहीं ले रहा है। बलरामपुर से रमन मिश्र की एक रिपोर्ट : कुपोषण के आगोश में नौनिहाल :
-वर्ष 2018 में जिले में हुए सर्वे में कुपोषण के 18126 बच्चे चिन्हित किए गए थे। जिसमें शून्य से पांच वर्ष के 8194 बच्चे अतिकुपोषित व कुपोषित बच्चों की संख्या 4993 थी। जिले के अफसरों ने 72 राजस्व ग्रामों को गोद लेकर बच्चों को कुपोषण से मुक्त करने का संकल्प लिया था लेकिन, वह इन गांवों में जाना भूल गए। अब शून्य से छह वर्ष तक बच्चों को शामिल किया गया है। अतिकुपोषित 14270 व 17190 बच्चे कुपोषित हैं। जिले में आंगनबाड़ी कर्मियों की लापरवाही व अफसरों की उदासीनता के कारण कुपोषित बच्चों की सेहत सुधरने का नाम नहीं ले रही है। नियमित नहीं खुलते आंगनबाड़ी केंद्र :
-जिले में 1882 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं। इनमें से अधिकांश केंद्र नियमित नहीं खुलते हैं। इन केंद्रों पर 3,92,098 बच्चे पंजीकृत हैं। करीब 300 से अधिक आंगनबाड़ी केंद्र भवन पूरी तरह जर्जर हैं। केंद्रों के न खुलने से विभाग की योजनाओं का लाभ पंजीकृत बच्चों व गर्भवती को नहीं मिल पा रहा है। जिले भर में करीब चार हजार आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कार्यरत हैं। जिन पर गर्भवती, धात्री महिलाओं व नवजात का टीकाकरण, नौनिहालों को पोषाहार का वितरण, मिशन इंद्रधनुष, वजन दिवस समेत अन्य कई परियोजनाओं के संचालन का जिम्मा है। नौनिहालों को कुपोषण से बचाने के लिए आंगनबाड़ी कार्यकर्ता समेत आशाओं को भी जिम्मेदारियां दी गईं हैं। जो शून्य से पांच वर्ष तक के बच्चों को चयनित कर उन्हें पोषाहार का वितरण समेत अन्य स्वास्थ्य लाभ पहुंचाने का कार्य करती हैं। बताया जाता है कि नौनिहालों को बांटे जाने वाले पोषाहार की कालाबाजारी कर दी जाती है। एनआरसी पर सेहत सुधारने का दावा :
-कुपोषित बच्चों की सेहत सुधारने के लिए जिला मेमोरियल अस्पताल में पोषण पुनर्वास केंद्र (एनआरसी) संचालित है। 21 अप्रैल 2015 को यह केंद्र शुरू हुआ था। अब तक इस केंद्र पर 523 बच्चों को भर्ती किया जा चुका है। इनमें से 463 बच्चे सेहतमंद होकर घर लौट चुके हैं। आठ बच्चों को बेहतर इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया। 48 बच्चे बिना सूचना के वार्ड छोड़कर चले गए। बच्चों को चिकित्सकों के अनुसार दवा के साथ पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। भर्ती बच्चों की माताओं को खाने-पीने के अलावा उनकी काउंसिलिग की जाती है। 50 रुपये प्रतिदिन प्रोत्साहन राशि भी दी जाती है। नंबर गेम :
जिले की आबादी - 21,48,795
आंगनबाड़ी केंद्र - 1882
कुपोषित बच्चे - 17190
अतिकुपोषित बच्चे - 14270