..और राज्यपाल बन गए 'गुरुजी'
बलरामपुर : राज्यपाल राम नाईक ने सांस्कृतिक कार्यों का बखान करते हुए कहा कि यहां के बच्
बलरामपुर : राज्यपाल राम नाईक ने सांस्कृतिक कार्यों का बखान करते हुए कहा कि यहां के बच्चों में जो प्रतिभाएं देखने को मिलीं हैं, वह मुंबई व लखनऊ में ही देखने को मिलती हैं। पहले ऐसे स्कूल व ऐसी शिक्षा नहीं होती थी। मैं भाग्यवान हूं जो यहां आया। आज मुझे अपने भाग्य की पूंजी का सबसे बड़ा धन मिल गया है। राज्यपाल ने कहा कि स्कूल में ही छात्र के चरित्र का विकास होता है। देश के भविष्य के निर्माण का दायित्व शिक्षकों का है। राज्यपाल ने बच्चों को सफलता के चार मंत्र भी दिए। कहा कि हमेशा मुस्कुराते रहो, अच्छे कार्य की प्रशंसा करो, किसी की अवमानना न करो व जो कार्य आप करते हो उसे और अच्छा करने का प्रयास करते रहो। उन्होंने स्वलिखित पुस्तक 'चरैवेति-चरैवेति'(चलते रहो-चलते रहो) की संकल्पना को जीवन में आत्मसात करने की सीख दी। कहा कि जो सो गया उसका भाग्य भी सो जाता है। हम जागेंगे तभी भाग्य भी जागेगा। हम जब चलते रहेंगे तो भाग्य भी आगे चलता जाएगा। उन्होंने अपने बारे में बताया कि वह मुंबई से तीन बार विधायक, पांच बार सांसद व एक बार पेट्रोलियम मंत्री भी रह चुके हैं। उनको देश के सबसे बड़े प्रदेश का राज्यपाल बनने का गौरव मिला है।
श्रीराम के जीवन का सुनाया वृतांत : राज्यपाल ने श्रीरामचरितमानस की पंक्ति 'प्रातकाल उठिकै रघुनाथा, मातु-पिता गुरु नावहि माथा' के माध्यम से बच्चों को नियमित प्रात: उठकर अपने माता-पिता व गुरुजनों को नमन करने की नसीहत दी। साथ ही रामायण काल के दौरान राम के पुत्र धर्म, लक्ष्मण के भ्रातृ धर्म व सीता के पत्नी धर्म का उदाहरण देकर बच्चों को छात्र धर्म का पालन करने की सीख दी। कहा कि छात्र धर्म का अर्थ कर्तव्यों का पालन करना है। अपने कर्तव्यों से विमुख होने वाला कभी सफल नहीं हो सकता।