एड्स रोगियों के लिए वरदान बनी एचआइवी पीड़ितों की टीम
एचआइवी पीड़ितों की इस पहल से अब तक
बलरामपुर : एक मरीज ही दूसरे पीड़ित का दर्द समझ सकता है। इन लाइनों को एचआइवी पॉजिटिव पांच सदस्यों की टीम ने सही साबित कर दिखाया है। एक महिला के नेतृत्व में यह सदस्य ग्रामीण क्षेत्र में एचआइवी संक्रमित मरीजों की पहचान कर उनकी जांच कराते हैं। पॉजिटिव मरीज के बीमार पड़ने पर सदस्य अस्पताल में उन्हें मुफ्त दवा दिलाने के साथ नियमित दवा खाने, परिवार के अन्य सदस्यों को एचआइवी के संक्रमण से बचाने व विभाग से मिलने वाली प्रोत्साहन राशि दिलाने का कार्य करते हैं। एचआइवी पीड़ितों की इस पहल से अब तक 800 से अधिक एड्स मरीजों को इलाज मिल चुका है। टीम की सक्रियता ने एचआइवी प्रभावित 12-15 मरीजों को पॉजिटिव होने के एक साल बाद भी एड्स पीड़ितों की श्रेणी में आने से बचा रखा है। एड्स पीड़ितों का यह मिशन चार वर्षो से अनवरत चल रहा है।
सभी नहीं हैं एड्स पीड़ित :
- एफआइएआरटी सेंटर के नोडल डॉ. रमेश पांडेय का कहना है कि सभी एचआइवी पॉजिटिव मरीज एड्स पीड़ित नहीं होते हैं। एचआइवी पॉजिटिव मरीज के शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बनी रहने तक उस पर बीमारियों का असर नहीं होता है। प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होने पर पीड़ित को बीमारियां घेर लेती हैं। ऐसे बीमार लोगों को एड्स पीड़ित की संज्ञा दी जाती है।
साथी के दर्द से मिली प्रेरणा :
- समूह की अगुवा महिला बताती हैं कि उनके एक दोस्त भी एचआइवी पॉजिटिव थे। सही देखभाल व समय पर इलाज न मिलने से 2013 में उसकी मौत हो गई थी। इस घटना ने उन्हें एचआइवी पीड़ित व खासकर एड्स के मरीजों की मदद करने की प्रेरणा दी। उन्होंने चार अन्य एचआइवी पीड़ितों के साथ मिलकर यह अभियान शुरू कर दिया।