विकास को गति देने वाले को ही चुनेंगे अपना नेता
वक्त सुबह नौ बजे। नगर के वीर विनय चौराहे पर टैक्सी चालक उतरौला व गोंडा की सवारी बैठाने के लिए आवाज लगा रहे थे। चौराहा पर सड़क किनारे एक दुकान में बैठे लोग चुनावी चर्चा में मशगूल थे। परशुराम कहते हैं कि देश के विकास करने वाले नेता को अपना नेता चुनेंगे। समस्याएं तो बहुत है लेकिन बात प्रधानमंत्री बनाने की है। इसलिए मतदान करना जरुरी है। बगल में बैठे फखरूद्दीन कहते हैं कि राष्ट्रवाद का मुद्दा सभी के लिए महत्वपूण है। कोई उससे अलग नहीं है लेकिन मतदान सभी का अधिकार है। किसको देंगे यह तय नहीं किया। सभी दल विकास का दावा कर रही है। बात पूरी होने से पहले ही रोकते हुए जफर अहमद कहते हैं कि राजनीतिक दल के लोग आम जन की समस्याओं के निराकरण की बात नहीं करते हैं। स्थानीय नेताओं की छवि को ध्यान में रखकर ही आगे की रणनीति तय की जाएगी। जमील अहमद कहते हैं कि
बलरामपुर : वक्त सुबह नौ बजे। नगर के वीर विनय चौराहे पर टैक्सी चालक उतरौला व गोंडा की सवारी बैठाने के लिए आवाज लगा रहे थे। चौराहा पर सड़क किनारे एक दुकान में बैठे लोग चुनावी चर्चा में मशगूल थे। परशुराम कहते हैं कि देश का विकास करने वाले को ही अपना नेता चुनेंगे। समस्याएं तो बहुत हैं, लेकिन बात प्रधानमंत्री बनाने की है। इसलिए मतदान करना जरूरी है। बगल में बैठे फखरुद्दीन कहते हैं कि राष्ट्रवाद का मुद्दा सभी के लिए महत्वपूर्ण है। कोई उससे अलग नहीं है, लेकिन मतदान सभी का अधिकार है। किसको देंगे यह तय नहीं किया। सभी दल विकास का दावा कर रहे हैं। बात पूरी होने से पहले ही रोकते हुए जफर अहमद कहते हैं कि राजनीतिक दल के लोग आम जन की समस्याओं के निराकरण की बात नहीं करते हैं। स्थानीय नेताओं की छवि को ध्यान में रखकर ही आगे की रणनीति तय की जाएगी। जमील अहमद कहते हैं कि राजनीतिक दल चुनावी वादों की पोटली लेकर आ गए हैं। सभी अपने को राष्ट्रभक्त बता रहे हैं, लेकिन जनता सब राष्ट्रभक्तों को जानती है। राजू अपनी आवाज तेज करते हुए कहते हैं कि जिले को विकास की दौड़ में आगे ले जाने वाले को ही जनता अपना नेता चुनेगी। बिजली तो भरपूर मिल रही, लेकिन स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिला पीछे है।
राजकिशोर कहते हैं कि राष्ट्रद्रोह कानून में संशोधन की बात करना आतंकवाद को पनाह देने वाला है। देश की सुरक्षा के मामले में सभी एक हैं। भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की बात पर कोई राजनीतिक दल आगे नहीं आ रहा है। प्रदीप चौरसिया कहते हैं कि गरीबी दूर करने का ठोस कदम कोई दल नहीं उठा रहा है। सिर्फ कागज पर घोषणाएं की जा रही हैं। गरीब और गरीब होता जा रहा है। जगराम कहते हैं कि दो वक्त की रोटी के जुगाड़ में युवा शहरों को पलायन कर रहे हैं। उनको रोजगार का अवसर उपलब्ध कराने की बात कोई नहीं कर रहा है। जो करते भी हैं वह चुनाव खत्म होते ही भूल जाते हैं। इस पर सभी दलों को गंभीर होना चाहिए। लकी कहते हैं कि जाति और धर्म से कोई लेना देना नहीं है। टैक्सी चालक की तरफ इशारा करते हुए उमेश कुमार कहते हैं कि बेरोजगारी देख रहे हैं। इसका हल खोजने के लिए नेताओं को ठोस रणनीति बनानी होगी। यहां ब्याज मुक्त कर्ज और पेंशन देने की बात तो कर रहे हैं, लेकिन प्रतिमाह 20 हजार की नौकरी देने की व्यवस्था करने की घोषणा नहीं की जा रही है। इस तरह की चर्चाएं गली मुहल्लों में आम हैं।