27 सहकारी समितियां बंद, अन्नदाता मजबूर
बलरामपुर सचिवों की सेवानिवृत्ति के बाद नहीं खुला ताला किसानों को नहीं मिल पा रही सही खाद व बीज।
संवादसूत्र, बलरामपुर :
सरकार भले ही स्वावलंबन व सहकारिता को बढ़ावा दे रही है, लेकिन जिले में कर्मियों की किल्लत सहकारिता की कमर तोड़ रही है। 62 सहकारी समितियों में से 27 सहकारी समितियां बंद चल रही हैं। वर्षों से यहां सचिवों की तैनाती न होने से इनके भवनों में ताला लटक रहा है। बंद पड़ी सहकारी समिति क्षेत्र के किसान मजबूर होकर निजी दुकानों पर खाद-बीज खरीद रहे हैं। निजी दुकानदार अधिक मूल्य लेकर नकली खाद व बीज बेंच रहे हैं। मजबूर किसानों के पास कोई विकल्प न होने के कारण उन्हें खरीदना पड़ रहा है। सही खाद व बीज न मिलने से किसानों की फसल खराब हो रही है। इससे खेती से उनका मोह भंग हो रहा है। रेहरा बाजार ब्लाक में 10 समितियों में साधन सहकारी समिति रामपुर अरना व परसिया पतकरपुर का संचालन हो रहा है। बाकी आठ बंद हैं। मनुवागढ़, अलाउद्दीनपुर सलेमपुर का संचालन पूर्व सचिव रामफेर कर रहे थे। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद ताला लटक रहा है। मुबारकपुर, बैरिया सुर्जनपुर अधीनपुर, नयानगर कुसमौर का संचालन सचिव हरिभजन कर रहे थे। सेवानिवृत्ति के बाद बंद है। ग्रामीण नंद किशोर श्रीवास्तव, रामतेज चौहान, अखंड प्रताप सिंह, अतुल उपाध्याय, गंगाराम, राजेश ने बताया कि खाद बीज के लिए भटकना पड़ रहा है। किसान कनिकराम, राम चंदर, मोहनलाल, रामतेज, आज्ञाराम वर्मा, मघईराम, गयालाल, राम प्रसाद ने बताया कि समिति पर खाद बीज न मिलने से नकली मिलने का भय बना रहता है। इससे फसल खराब हो जाती है। भ्रष्टाचार ने चौपट की व्यवस्था:
सहायक आयुक्त सहकारिता एवं निबंधन अमरेश मणि तिवारी का कहना है कि समितियों को बंद करने का कारण उनकी भ्रष्ट कार्यशैली रही है। बंद 27 में 18 समितियां में गबन के मामले सचिवों पर हैं। आरोपित सचिव पर मुकदमा लिखा है। इनके निस्तारण होने के बाद ही संचालन हो पाएगा। शेष का संचालन कराने के लिए शासन को पत्र लिखा जा रहा है।