नियमों का उल्लंघन, लॉकडाउन में भी उतरे सड़क पर
नहीं बदली मानसिकता तो भुगतना पड़ेगा खामियाजा
जागरण संवाददाता, बलिया : कोरोना वायरस दिन-ब-दिन अपना पांव पसार रहा है। इससे बचने के लिए ही पूरे देश को लॉकडाउन किया गया है, इसके बावजूद कुछ लोग इसे गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। खुलेआम नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं। लॉकडाउन में भी सड़क पर बेखौफ घूम रहे हैं। विशेषज्ञों के अनुसार अगला सप्ताह काफी अहम बताया जा रहा है। इन दिनों में अगर हमने लापरवाही बरती तो उसका खामियाजा हमें भुगतना पड़ सकता है।
बेशक, लॉकडाउन के बाद देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या पर रोक लगी है, लेकिन जरा सी लापरवाही से सारे जतन पर पानी फिर सकता है। भावी संकट को भांप जिला प्रशासन लोगों से घरों में रहने की अपील कर रहा है। प्रशासन ने लोगों को रोजमर्रा की वस्तुएं आसानी से सुलभ करने के लिए ही सुबह सात से 11 बजे तक छूट दे रखी है। यहां तक डोर स्टेप डिलेवरी की सुविधा भी शुरू की गई है। इसके बावजूद इस दौरान सड़क से लेकर बाजार तक लोगों की भीड़ जमा हो जा रही है।
सड़क पर घूम रहे लोगों का रवैया देखकर ऐसा लगता है मानो इन्हें कोरोना का डर नहीं रह गया है। इस चार घंटे की छूट का लोग नाजायज फायदा उठा रहे हैं और बेवजह बाजारों में घूम रहे हैं। पुलिस-प्रशासन को ऐसे लोगों पर सख्ती बरतनी होगी, अन्यथा स्थिति खराब होने में देर नहीं लगेगी। हालांकि निर्धारित समय समाप्त होने के बाद सड़कों और बाजारों में थोड़ा सन्नाटा जरूर दिखाई दे रहा है, लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में यह पर्याप्त नहीं माना जा सकता है। जिले के विभिन्न हिस्सों से आ रही ऐसी तस्वीरें सब कुछ ठीक होने का संकेत नहीं दे रही हैं। प्रबुद्ध वर्ग भी इस पर नाराजगी जता रहा है।
प्रबुद्धजनों का कहना है कि पुलिस प्रशासन को इस ओर ध्यान देते हुए बाजारों में भीड़ नहीं जमा होने देना चाहिए। जरूरत पड़े तो इसके लिए कड़े कदम भी उठाए जाएं, क्योंकि यदि सुबह तीन-चार घंटे सड़क व बाजार में लोगों की भीड़ जमा हो जाती है तो फिर लॉकडाउन का महत्व ही क्या रह जाएगा। नगर के लोगों का कहना है कि ज्यादातर लोग बेवजह ही सड़कों पर घूमकर टाइमपास कर रहे हैं। जिन पर पूरी तरह नियंत्रण किया जाना जरूरी है। हालांकि लोग पुलिस की गाड़ी को देखकर भागते जरूर नजर आते हैं, लेकिन कुछ देर बार फिर वही स्थिति कायम हो जा रही है। शायद लोग इस घातक बीमारी के प्रति उतने संजीदा नहीं हैं जितना जरूरी बताया जा रहा है, इसीलिए अब भी ज्यादातर लोग सोशल डिस्टेंसिग को धता बताते नजर आ रहे हैं, जबकि इस संक्रामक बीमारी से लड़ने का सबसे कारगर हथियार सोशल डिस्टेंसिग यानी सामाजिक दूरी ही है। इनका भी रखें ध्यान
कोरोना के खिलाफ जारी जंग में स्वास्थ्य, सफाई व पुलिसकर्मियों की टीम काफी सक्रिय है। पुलिस लगातार लोगों को एहतियात बरतने के लिए सावधान कर रही है। लोगों से घरों मे रहने की अपील की जा रही है। अपनी जिदगी को दांव पर लगाकर ये कोरोना योद्धा आमजन को सुरक्षित करने में जुटे हैं। इसके बावजूद लोग अपना राग अलाप रहे हैं। लोगों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए पुलिस सख्ती भी दिखा रही है। अनावश्यक भ्रमण पर अंकुश लगाने के लिए ही कहीं-कहीं कार्रवाई भी की गई है। फिर भी लोग आदत में सुधार नहीं कर रहे है। शनिवार को एक बार फिर ऐसे लोगों के खिलाफ पुलिस ने सख्ती दिखाई और अकारण सड़कों पर घूम रहे लोगों के खिलाफ एक्शन लिया। बेसहारा बच्चों की दें सूचना
संपूर्ण लॉकडाउन के बाद भी 1098 सेवा बदस्तूर जारी है। बेबस, बेसहारा व मुसीबत में फंसे 18 साल तक के बच्चों की सुरक्षा के लिए चाइल्ड लाइन के टोल फ्री नंबर 1098 सूचित कर सकते हैं। शासन के निर्देश पर चाइल्ड लाइन को सेवा में लगे रहने का आदेश दिया गया है। न्यायपीठ बाल कल्याण समिति बलिया के न्यायिक सदस्य राजू सिंह ने बताया कि राजकीय बालिका गृह निधरिया, बालगृह फेफना व खुला आश्रय गृह चंद्रशेखर नगर में ऐसे बच्चों को रखने की सुविधा मौजूद है।