थक चुका हूं तहसील से लेकर केंद्रों का चक्कर काटकर
गेहूं क्रय केंद्रों पर खरीद नहीं होने से किसान मायूस हैं। वे तहसी
जागरण संवाददाता, बलिया : गेहूं क्रय केंद्रों पर खरीद नहीं होने से किसान मायूस हैं। वे तहसील से लेकर क्रय केंद्रों के चक्कर काटकर थक चुके हैं। खेतों में पसीना बहाने के बाद अब उन्हें बेवजह परेशानी उठानी पड़ रही है। किसानों ने कुछ यूं बयां किया अपना दर्द..।
-इब्राहिमाबाद के युवा किसान धनंजय सिंह का कहना है कि ऑनलाइन आवेदन कराने के बाद लेखपाल कानूनगो से मिल पाना टेढ़ी खीर है। पंजीकरण कराने पर भी टोकन नहीं मिल रहा है।
-हेमंतपुर के युवा किसान धीरेंद्र सिंह ने कहा कि गेहूं तैयार कर लिए हैं। पंजीकरण, लेखपाल, कानूनगो से संस्तुति कराने और खरीद शुरू होने के चक्कर में विभिन्न कार्यालयों की गणेश परिक्रमा कर रहे हैं। -किसान देव कुमार पांडेय ने कहा कि दियरांचल के अधिकांश किसान गेहूं खरीद चालू होने के इंतजार में हैं। जरूरतमंद किसान तो मजबूरी में बिचौलियों के हाथों गेहूं दे रहे हैं। -रामपुर के किसान भुवाली यादव का कहना है कि काश्तकारों के घर शादी है। खाद-बीज की उधारी चुकानी है। सरकार ने घोषणा तो कर दी लेकिन क्षेत्र में कहीं भी खरीद चालू नहीं हुई है। -इंदरपुर के किसान बलवंत यादव ने कहा कि सरकारी घोषणाओं पर बिचौलिए भारी पड़ रहे हैं। वे दरवाजे-दरवाजे घूमकर क्रय केंद्र बंद होने का हवाला देकर सस्ते दर पर किसानों से गेहूं खरीद रहे हैं। -किसान मुन्नीलाल ने कहा कि सरकारी निर्देशों पर अमल होता तो किसानों की परेशानियां दूर हो जातीं। मेहनत से फसल तैयार करने के बाद अब गेहूं बेचने के लिए परेशान होना पड़ रहा है।
-पांडेयपुर, नगरा निवासी किसान सूर्यनाथ पांडेय ने कहा कि ढाई सौ क्विंटल गेहूं बेचना है। क्रय केंद्रों का चक्कर काट रहे हैं लेकिन खरीद नहीं हो पा रही है। सबसे अधिक समस्या टोकन निकालने में हो रही है। किसी तरह टोकन निकल भी जा रहा है तो भी खरीद नहीं हो पा रही है।
-कोदई निवासी किसान संजय कुमार सिंह ने कहा कि दो दिन से ट्रैक्टर ट्राली पर गेहूं लेकर विपणन केंद्र पर हैं लेकिन खरीद नहीं हो पा रही है।
-गड़वार के किसान जवाहर वर्मा ने कहा कि गेहूं की कटाई किए हुए दस दिन बीत गए लेकिन बिक्री के लिए रोज क्रय केंद्र का चक्कर लगाना पड़ रहा है।
-किसान शैलेंद्र ने कहा कि हम लोगों के पास गेहूं घर में रखने की पर्याप्त जगह नहीं है। क्रय केंद्र पर खरीद हो नहीं रही है। बारिश हो जाने पर हमारी वर्ष भर की पूंजी नष्ट हो जाएगी।