जिनकी होती है पैरवी, उन्हीं को मिलता लोन
सुधीर तिवारी -------------- जागरण संवाददाता, बलिया: शासन की मंशा होती है कि लोगों को अ
सुधीर तिवारी
--------------
जागरण संवाददाता, बलिया: शासन की मंशा होती है कि लोगों को आसानी से ऋण उपलब्ध कराकर रोजगार करने के अवसर दिए जाएं। इसी उद्देश्य से प्रधानमंत्री रोजगार सृजन योजना, मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना जैसी योजनाएं संचालित की जा रही हैं। लेकिन दुर्भाग्य है कि लोन लेने के लिए भी तगड़ी पैरवी करनी पड़ती है। अधिकारियों की चमचागिरी के साथ सुविधा शुल्क देना पड़ता हैं। इसका नतीजा होता है कि छोटे-मोटे लोगों को उद्योग धंधे खोलने के लिए लोन ही नहीं मिल पाता है। इस प्रकार अगर देखा जाए तो शासन की मंशा के विपरीत आम आदमी इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पाता, और जुगाड़ वाले ही इसमें भी सफल होते हैं।
हालांकि ऐसा मामला संज्ञान में आने पर शासन ने यहां के खादी एवं ग्रामोद्योग अधिकारी शिवकुमार को निलंबित कर दिया। साथ ही आगाह कर दिया है कि सरकार की योजनाओं में रिश्वतखोरी करने वाले अधिकारियों पर कार्रवाई करने में परहेज नहीं होगी। प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम योजना (पीएमइजीपी) के अंतर्गत दोना-पत्तल उद्योग के लिए लोन स्वीकृत कराने को लेकर रिश्वत मांगे जाने के आरोप में प्रमुख सचिव खादी एवं ग्रामोद्योग नवनीत सहगल ने यह कार्रवाई की है। यह तो महज उदाहरण मात्र है। जिला उद्योग केंद्र से लेकर खादी ग्रामोद्योग विभाग तक इन योजनाओं में हमेशा इस तरह के मामले होते रहते हैं। आम आदमी की पहुंच से दूर होने के नाते इस पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। इसके चलते जरूरत मंदों को इस तरह की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है। जरूरतमंदों से इतने कागजात मांग देते है कि वह परेशान होकर वापस चला जाता है।