थाने के लॉकअप से कम नहीं ट्रेन की यह यात्रा
तीन श्रमिक स्पेशल ट्रेन से बुधवार को 1
जागरण संवाददाता, बलिया : उनके चेहरे ही सफर की दुर्दशा की कहानी बयां कर रहे थे। शरीर के कपड़े पसीने से तरबतर, बिखरे बाल देख ऐसा लग रहा था जैसे महीनों से भूखे-प्यासे हों। बोले, यह यात्रा थाने के लॉकअप से कम नहीं रही। बुधवार को तीन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से 1814 प्रवासी कामगार बलिया पहुंचे। इनमें गुजरात के सूरत से 434, दिल्ली के निजामुद्दीन से 180 व गोवा के मडगांव से 1200 प्रवासी मजदूर आए। तीनों ट्रेनें बारी-बारी से जब स्टेशन पर रूकी और कामगार ट्रेनों के अंदर से बाहर निकलना शुरू हुए तो उनके चेहरे यात्रा की पीड़ा बयां कर रहे थे। प्लेटफार्म पर मौजूद टीम ने शारीरिक दूरी का पालन करते हुए बारी-बारी से थर्मल स्क्रीनिग कर उन्हें बसों से गंतव्य को रवाना किया। बोले प्रवासी-
श्रमिक स्पेशल ट्रेन से बलिया स्टेशन पर उतरे प्रवासियों से सफर के बारे में पूछने पर कामगार रोशन सिंह, दीपक चौरसिया, संतोष यादव, राजेश वर्मा आदि ने बताया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन का सफर किसी थाने के लॉकअप की तरह है। जिस तरह किसी कैदी को लॉकअप में बंद कर दिया जाता है, उसी तरह जहां से हम ट्रेन में सवार हुए, वहीं पर ट्रेन का फाटक लॉक कर दिया गया। ट्रेन के अंदर न पानी का सही इंतजाम न ही भोजन का उचित प्रबंध। ऐसे में हमारा सफर कैसे कटा होगा सहज अनुमान लगाया जा सकता है। रेलवे का रवैया देख ऐसा लग रहा था मानो ट्रेन में इंसान नहीं कोई सामान लोड कर भेजा रहा है। ट्रेन के अंदर शौचालय तक में पानी खत्म हो जा रहा था, शिकायत के बाद भी कोई सुधि लेने वाला नहीं है। तबीयत खराब होने पर दिखती मौत
कामगारों ने बताया कि श्रमिक स्पेशल ट्रेन में यदि किसी की तबियत खराब हो जाए तो उसे सामने मौत दिखने लगती है। इसलिए कि पूरे सफर में कहीं भी उपचार के कोई इंतजाम नहीं हैं। बताया कि हर ट्रेन में लंबी यात्रा के कारण कई कामगारों की तबियत खराब हो रही थी, इसकी सूचना रेलवे को देने के बाद भी वे इस पर गंभीर नहीं हुए। पानी व भोजन के अभाव में कई मजदूरों की तबियत खराब हो गई। उन्हें रास्ते के स्टेशनों पर ही उतरना पड़ा। सरकार श्रमिक स्पेशल चला रही है तो मौसम को देखते हुए कम से कम पानी की व्यवस्था कर सही रुप से कर देना चाहिए। गैर जनपद उतरे 40 बसों से पहुंचे 1000 प्रवासी
श्रमिक स्पेशल ट्रेन से गैर जनपद के स्टेशनों पर उतरने के बाद 40 बसों से प्रवासी कामगार बलिया पहुंचे। गोवा से बलिया पहुंचे राकेश कुमार निवासी दुधारा संतकबीर नगर ने बताया कि भीषण गर्मी में ट्रेनों के लेट लतीफी के कारण परेशानियों का सामना करना पड़ा है। शिकायत का भी कोई मतलब नहीं है। सभी सिर्फ सुनते हैं, सुधर के नाम पर कुछ नहीं करते।