अनुसूचित जनजातियों की सीटों पर असमंजस
बलिया पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाने के बावजूद अनुसूचित जन
जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया) : पंचायत चुनाव की अधिसूचना जारी हो जाने के बावजूद अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव होगा या नही, संशय बना हुआ है। तहसील प्रशासन यह कहता है कि यहां गोंड जाति का कोई है ही नहीं, जो लोग यहा गोंड लिख रहे हैं, वास्तव में वे भड़भूजा हैं। पिछले दिनों डीएम अदिति सिंह ने तहसील प्रशासन को पत्र लिखा था। शासनादेश के अनुसार गोंड जाति के लोगों को अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी करने का आदेश भी जारी किया है। तहसीलदार पंडित शिवसागर दुबे का कहना है कि शासनादेश के अनुसार राजस्व दस्तावेज के 1356 व 1359 फसली में अगर गोंड जाति लिखा हुआ है तथा 1950 से पूर्व राष्ट्रपति द्वारा जारी आदेश के क्रम में गोंड जाति दर्ज हुआ हो तभी हम अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र जारी करेंगे। 13 अप्रैल से नामांकन शुरू होगा लेकिन अभी तक गोंड जाति का एक भी प्रमाण पत्र तहसील से जारी नहीं हुआ है। ऐसे में अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों पर चुनाव कैसे होगा, यह पेंच फंसा हुआ है। लोगों का कहना है कि अकेले बैरिया तहसील से गोंड जाति के लोगों द्वारा अनुसूचित जनजाति का प्रमाण पत्र प्राप्त कर लगभग दो हजार सरकारी पदों पर नौकरी कर रहे हैं। विभिन्न न्यायालय में दलित उत्पीड़न के मामले भी विचाराधीन हैं। दलित उत्पीड़न के नाम पर सरकारी सहायता भी पीड़ितों को प्राप्त हुआ है। गोंड समुदाय के लोग उच्च न्यायालय में चुनाव को लेकर गए हैं। इस मामले में उच्च न्यायालय ने पांच अप्रैल को तहसीलदार को तलब किया है। तहसीलदार ने कहा कि उच्च न्यायालय के समक्ष मौजूदा शासनादेश को प्रस्तुत किया जाएगा। जांच टीम के सामने उलझा दो पक्ष
दुबहर (बलिया): थाना क्षेत्र के बसरिकापुर गांव में फर्जी मतदाताओं की सूची में नाम जोड़ने की शिकायत पर बीडीओ के नेतृत्व में पहुंची टीम के सामने ही दो पक्ष उलझ गए। हालात बिगड़ते देख जांच टीम वहां से सिखक गई। शशिकांत चौबे एवं निवर्तमान प्रधान सुभाष यादव ने एक दूसरे पर मतदाता सूची में फर्जी नाम दर्ज कराने की शिकायत की थी। इसकी जांच कराने को बीडीओ सचिन भारती एवं एडीओ संजय सिंह पहुंच गए। टीम ने सभी का घर-घर जाकर सत्यापन भी किया।