..तो फिर सरकार को भी करनी होगी इज्जत घर की इज्जत
--लवकुश ¨सह ---------------- जागरण संवाददाता, बलिया : प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन को संज
--लवकुश ¨सह
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जागरण संवाददाता, बलिया : प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत मिशन को संजीवनी देते हुए शौचालय को सटीक नाम दिया था इज्जत घर। इस नाम को सभी सही मानते हैं। सभी का यह भी मानना है कि जिसके घर इज्जत घर नहीं है वह समाज का एक अलग घर है। इस योजना के तहत देश के सभी जिलों को ओडीएफ करने की कवायद तेजी से चल रही है। जनपद में भी डीएम के सख्त तेवर के बाद इज्जत घर के निर्माण में तेजी आई है। इसके बावजूद भी ओडीएफ की राह आसान नहीं दिख रही है। जनपद के कई ब्लाकों में गरीबों के पास इसके निर्माण के लिए भी जमीन नहीं हैं। बहुत से लोग मालिकाना जमीन में बसे हैं जहां वे कोई भी पक्का निर्माण नहीं करा सकते। वहीं 12 हजार की लागत से बनने वाले इज्जत घर से गरीबों की एक बड़ी आबादी संतुष्ट नहीं है। पंचायतों के ग्राम प्रधानों का भी यह तर्क है कि इज्जत घर की असल इज्जत सरकार को भी करनी होगी। इस योजना के तहत रकम अब दोगुनी करनी होगी तभी सभी के लिए संतोषजनक शौचालय बन पाएंगे। मुरलीछपरा ब्लाक के कोड़हरा नौबरार (जयप्रकाशनगर) की प्रधान रूबी ¨सह, चांददियर के प्रधान बीरेंद्र यादव सहित ऐसे कई प्रधान मिले जो बताते हैं कि इज्जत घर के निर्माण के लिए कुल 12 हजार का बजट है ¨कतु महंगाई के इस दौर में 12 हजार का इज्जत घर वैसा नहीं हो पा रहा है जैसा लोग चाह हैं। ऐसे में यदि कोई इस सरकारी धन में 10 या 12 हजार खुद से मिलाकर इसका निर्माण कराना भी चाहता है तो उसमें सरकारी अड़चन है। उस आदमी को सरकारी लाभ नहीं मिल पाता। इस योजना में सरकारी लाभ तभी मिलना है जब सबकुछ सरकारी मानक के अनुसार होगा। गड्ढ़े की खोदाई, मजदूरी से लेकर भवन निर्माण तक सबकुछ इस 12 हजार के अंदर मानक के अनुसार ही करना है। ऐसे में जहां पर बाढ़ नहीं आता वहां तो कुछ हद तक यह इज्जत घर उपयोगी है ¨कतु बाढ़ प्रभावित गांवों में यह इज्जत घर हर साल बाढ़ के तेज बहाव में ही क्षतिग्रस्त हो जाता है। ऐसे में कई प्रधानों का सुझाव है कि सरकार को इस योजना की रकम को दोगुनी करनी चाहिए। ताकि किसी का भी इज्जत घर उसकी उम्मीदों के अनुसार बन सके।
--जब खुली प्रगति की पोल, सख्त हुए डीएम
जनपद में शौचालय निर्माण की पोल तब खुली जब विभाग को शौचालय का फोटो अपलोड करने को कहा गया। तब छन कर पूरे जनपद की असल तस्वीर सामने आने लगी। प्रशासन ने अपनी वाहवाही में गावों में सिर्फ गड्ढ़ा खोदवा कर ही शौचालय बन जाने की रिपोर्ट लगा दी थी। शासन के बेबसाइट पर भी इसकी फिडिंग हो गई थी। जब फोटो अपलोड करने के लिए आदेश आया तो सभी अधिकारियों के हाथ-पांव फूलने लगे। उसके बाद अधिकारियों ने अपने नीचे के कर्मचारियों पर ही सारी जिम्मेदारी थोप उन्हें इसके लिए दोषी साबित करना शुरू कर दिया। इसके बाद जिलाधिकारी भवानी ¨सह खंगारौत ने शौचालय निर्माण में इस तरह की लापरवाही पर सभी को सख्त निर्देश जारी किया। सीएम ने स्वयं वीडियो कांफ्रें¨सग के जरिए स्वच्छ भारत मिशन की समीक्षा की थी। इसके बाद जिलाधिकारी ने निर्देश दिया है कि जनपद में प्रति दिन 2300 शौचालयों का निर्माण विभाग सभी जिम्मेदारों से मिल कर कराए ताकि दो अक्टूबर तक जनपद को आडीएफ घोषित किया जा सके।
--यह है नगर की प्रगति रिपोर्ट
नगर को कुल 1450 शौचालय बनवाने का लक्ष्य था जिसमें अब तक 550 शौचालयों का निर्माण कराया गया है। नगर में कुल वार्डों की संख्या 25 हैं जिनमें कुल 15 वार्ड ओडीएफ घोषित किए गए हैं।
--छह लाख 36 हजार है जनपद का लक्ष्य
जनपद का लक्ष्य कुल लक्ष्य छह लाख 36 हजार है। विभागीय आंकड़े के अनुसार इसमें लगभग एक लाख 99 हजार लोग पहले ही खुद का बेहतर शौचालय बनवा लिए थे। बचे लोगों में विभाग की ओर से दो जुलाई-2018 तक लगभग एक लाख 46 हजार शौचालय बनवाए गए हैं। दोनों को मिलाकर अब तक 3,49,000 शौचालय बने हैं। इसके बावजूद भी अभी कुल दो लाख 87 हजार शौचालय शेष बचे दिनों के अंदर बनाने हैं।
--वर्जन--
लक्ष्य पूरा नहीं करने पर होगी सख्त कार्रवाई
शौचालय निर्माण के प्रगति रिपोर्ट की हर दिन समीक्षा की जा रही है। इसमें किसी भी तरह की लापरवाही पर संबंधितों पर हर हाल में कार्रवाई की जाएगी।। यदि प्रधान भी इसमें अपनी तत्परता नहीं दिखाते तो उनका खाता भी सीज कर पंचायत के सचिवों पर भी कार्रवाई होगी। -भवानी ¨सह खंगारौत, डीएम
------------------------------------------ -बलिया में कुल ग्राम पंचायतों की संख्या--948
-बलिया में कुल गांवों की संख्या--1843
-अब तक ओडीएफ हुए गांव--126
-जिले में कुल ब्लॉक--17
-स्वच्छता ग्राही टीम में सदस्य--200
-अभियान की शुरुआत--2 अक्टूबर 2014
-अब तक बने शौचालय-1,50,000