सबकी नम आंखे देख रही शहीद का पार्थिव शरीर आने की राह
--घर पर परिजनों के विलाप से दहल जा रहा कलेजा --आज शाम तक पहुंच सकता है शहीद प्रदीप का पार्थिक शरीर जागरण संवाददता, सिकन्दरपुर(बलिया) : आंखे देख रही राह, कब घर पहुंचेगा शहीद का पार्थिव शरीर। रह-रह कर अमर शहीद प्रदीप कुमार की पत्नी नीतू तेज आवाज में रोने लग रही है। आसपास के लोग उसे चुप कराने की कोशिश करते हैं।
जागरण संवाददाता, सिकन्दरपुर(बलिया) : आंखे देख रही राह, कब घर पहुंचेगा शहीद का पार्थिव शरीर। रह-रह कर अमर शहीद प्रदीप कुमार की पत्नी नीतू तेज आवाज में रोने लग रही है। आसपास के लोग उसे चुप कराने की कोशिश करते हैं। कुछ देर के लिए चुप होने के बाद फिर वहीं रुदन-क्रंदन सुन सभी लोगों का कलेजा दहल जा रहा है। वह बार-बार एक ही जिद कर रही है कि एक बार कोई उसके पति से मिला दे। उधर गांव भर के लोगों का शहीद के दरवाजे पर जाने का तांता लगा हुआ है। शहीद के पिता व्यास ठाकुर जो घटना से एक दिन पूर्व ही छुट्टी पर घर आए थे। तभी बेटे के शहीद होने की सूचना आ गई। वह भी असम राइफल के ही जवान है।
-गर्व है लेकिन बेटे के पार्थिव शरीर को कंधा देने का गम
शहीद के पिता व्यास ठाकुर हिम्मत बांध किसी तरह दरवाजे पर आने वाले लोगों से बात कर रहे हैं। उनकी यह बात सभी के हृदय को झकझोर दे रही है, जब वह फफक कर रोते हुए यह कहते हैं कि वह अभागा पिता ही होता है जो बेटे के पार्थिव शरीर को कंधा देता है।
--सितंबर में ही प्रदीप आए थे घर
शहीद प्रदीप कुमार सितंबर माह में ही अपने घर आए थे। पत्नी से होली में छुट्टी लेकर घर आने की बात कह कर घर से ड्यूटी पर गए थे। शहीद प्रदीप इंदिरा गांधी नेशनल यूनिवर्सिटी से नौकरी के साथ ही ग्रेजुएशन कर सेना में अधिकारी बनना चाहते थे।