कटहरनाला का गंदा पानी बिगाड़ रहा गंगा का सेहत
जागरण संवाददाता बलिया कार्तिक मास में गंगा में स्नान करना पुण्य माना जाता है। इससे लोग कार्तिक
जागरण संवाददाता, बलिया: कार्तिक मास में गंगा में स्नान करना पुण्य माना जाता है। इससे लोग कार्तिक मास भर गंगा स्नान नित्य करते है। ऐसे में गंगा की मार्ग के साथ ही गंगा की हालत में बलिया में खराब होती दिखाई पड़ रही है। महर्षि भृगु की धरती की पावन धरती पर गंगा में कटलनाला का गंदा पानी बेहिचक गिर रहा है। इस पर न तो शासन गंभीर है और न ही प्रशासन। यह कहना गलत नहीं होगा कि गंगा को गंदा करने में कटहल नाला की बड़ी भूमिका है।
शहर के सामने महावीर घाट पर गंगा नदी कुछ हद तक साफ दिखती है लेकिन इसके ठीक पहले कटहलनाला के माध्यम से जो पानी गंगा में गिरता है उससे आधा किमी तक गंगा का पानी धूमिल दिखता है। गंगा की धारा के साथ बहती हुई जलकुंभी व अन्य अपशिष्ट पदार्थ जहां इसकी धवलता को दागदार करते है वहीं सरकार का प्रयास भी कटघरे में खड़ा होता है। बेशक, आस्था का केंद्र गंगा आज भी लोगों के लिए पूज्यनीय है लेकिन अपनी पौराणिक व गौरवपूर्ण इतिहास को दोहराने के लिए छटपटाती गंगा भक्तों की तरफ टकटकी लगाए नजर आती है। सरकार की योजना का यहां कोई असर नहीं है। न ही प्रशासन का कोई काम दिख रहा है। गंगा किनारे विभिन्न घाटों पर शवदाह के बाद गंदगी तो आम बात है। यहीं नहीं कभी मृत पशुओं को भी बेबाकी से गंगा के आगोश में सौंप दिया जाता है। यदा-कदा ही सही गंगा के विभिन्न घाटों पर सफाई अभियान चलाया जा रहा है लेकिन यह प्रयास नाकाफी है। अभी भी गंगा स्नान को पहुंचने वाले नदी किनारे ही शौच कर देते हैं। ऐसे में गंदगी जस की तस है।
गंगा मुक्ति एवं प्रदूषण विरोधी अभियान के राष्ट्रीय प्रभारी रमाशंकर सिंह ने मंगलवार को गंगा घाट पर सफाई अभियान चलाया। इस दौरान उन्होंने वहां फैली गंदगी व गंगा में उड़ कर गए प्लास्टिक की अपनी टीम के साथ सफाई की। वहीं गंगा साबुन लगाकर नहाने वालों को ऐसा न करने के लिए जागरूक भी किया। इस दौरान लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को गंगाजल के दोहन को रोकना होगा। सरकार गंगा को लेकर तरह-तरह का कागजी अभियान चला रही है। वहीं दूसरी तरफ मैदानी इलाकों में गंगा सुख रही हैं। जिले के अधिकारियों की शिथिलता से कटहलनाला का गंदा पानी सीधे गंगा में गिर रहा है। इससे गंगा मैली होती जा रही है।