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मजह 1500 पगार पर काम करना पड़ता रसोइयों को

वरना हमें आने वाली पीढि़यां माफ नहीं करेंगी! वरना हमें आने वाली पीढि़यां माफ नहीं करेंगी! वरना हमें आने वाली पीढि़यां माफ नहीं करेंगी! वरना हमें आने वाली पीढि़यां माफ नहीं करेंगी! वरना हमें आने वाली पीढि़यां माफ नहीं करेंगी! वरना हमें आने वाली पीढि़यां माफ नहीं करेंगी!

By JagranEdited By: Published: Fri, 15 Nov 2019 06:46 PM (IST)Updated: Fri, 15 Nov 2019 06:46 PM (IST)
मजह 1500 पगार पर काम करना पड़ता रसोइयों को
मजह 1500 पगार पर काम करना पड़ता रसोइयों को

जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया) : वेतन महीने का 1500 रुपये ड्यूटी आठ घंटे की यानी रोज की मजदूरी 50 रुपये। इतनी मजदूरी पाने वाले का परिवार कैसे होगा गुजर-बसर, यह तो शायद उत्तर प्रदेश सरकार ही बता सकती है।

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हम बात कर रहे हैं परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को मध्याह्न भोजन बनाने वाली रसोइयों की, जिन्हें 1500 रुपये के पगार पर आठ घंटे ड्यूटी करनी पड़ती है विद्यालयों में। विद्यालयों का झाड़ू बहारू, बच्चों का भोजन बनाना व बर्तन मांजने में पूरा दिन गुजर जाता है। बावजूद इसके इन रसोइयों का परिवार भूखे पेट सोने को मजबूर है। इस बाबत मुरलीछपरा, बैरिया आदि के खंड शिक्षाधिकारी हेमंत कुमार मिश्र से बात करने पर उनका कहना था कि यह उत्तर प्रदेश सरकार का निर्णय है, जिसमें हम लोग चाह करके भी कुछ नहीं कर सकते हैं।


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