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अधिकतर गो संरक्षण केंद्रों पर उड़ रही मानक की धज्जियां

महराजगंज के जिलाधिकारी समेत पांच अधिकारियों पर हुई कार्रवाई की तपिश जिले में भी महसूस की गई। मंगलवार को प्रशासनिक अमला की पैनी नजर गो संरक्षण केन्द्रों पर ही लगी रही। हालांकि जिले के विभिन्न क्षेत्रों में संचालित हो रहे गो आश्रय केन्द्रों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 15 Oct 2019 04:52 PM (IST)Updated: Tue, 15 Oct 2019 04:52 PM (IST)
अधिकतर गो संरक्षण केंद्रों पर उड़ रही मानक की धज्जियां
अधिकतर गो संरक्षण केंद्रों पर उड़ रही मानक की धज्जियां

जागरण संवाददाता, बलिया: महराजगंज के जिलाधिकारी समेत पांच अधिकारियों पर हुई कार्रवाई की तपिश जिले में भी महसूस की गई। मंगलवार को प्रशासनिक अमला की पैनी नजर गो संरक्षण केन्द्रों पर ही लगी रही। हालांकि जिले के विभिन्न क्षेत्रों में संचालित हो रहे गो आश्रय केन्द्रों की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। कुछ-एक केन्द्रों को छोड़ दिया जाए तो बाकी केन्द्र कागजी कोरम पूरा कर रहे हैं। निराश्रित गो वंशियों के लिए जिले की विभिन्न नगर पालिका/नगर पंचायत में 10 तो ग्रामीण इलाकों में 18 गो संरक्षण केन्द्र खोले गए हैं, पर आधा दर्जन केन्द्रों को छोड़ दिया जाए तो अधिकांश केन्द्रों पर मानकों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं तो कहीं गोवंशी ही नदारद हैं। सरकार के एक्शन के बाद एक बार फिर प्रशासनिक अमला सक्रिय हो उठा है। कार्रवाई के बाद तमाम जिम्मेदार गो संरक्षण केन्द्रों की जायजा लेते रहे। हालांकि कागजों में आल इज ओके दिखाने वाले विभाग की समय-समय पर कलई भी खुलती रही है।

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आए दिन पशुओं के मरने या गायब होने की सूचना मिलती रहती है बावजूद गलत तथ्य के आधार पर भ्रमित करने का काम किया जाता है। बात चाहे मनियर स्थित पशु आश्रय केन्द्र की हो या हाल ही में नगरा क्षेत्र में आधा दर्जन मरे गो वंशियों की, विभाग आंकड़ों की बाजीगरी से बाज नहीं आता। बहरहाल भोजन व रख रखाव के अभाव में नगरा के गो संरक्षण केन्द्र की दुर्दशा जगजाहिर है तो वहीं मनियर स्थित अस्थाई गो आश्रय केन्द्र की दु‌र्व्यवस्था की चर्चा दूरतलक हो चुकी है। इनसेट

28 केन्द्रों पर 1200 पशु

किसानों को निराश्रित पशुओं के तांडव से बचाने व गो तस्करी पर लगाम लगाने के उद्देश्य से सूबे की सरकार द्वारा शुरु किया गया अभियान धीरे-धीरे ही सही लय पकड़ता नजर आ रहा है लेकिन अभी बहुत कुछ करने की दरकार है। गो वंशों के भरण-पोषण के नाम पर करोड़ो रुपये खर्च करने वाला जनपद अब तक करीब डेढ़ हजार पशुओं को ही संरक्षित कर पाया है। विभागीय आंकड़े के अनुसार जिले के 17 ब्लाकों में अलग-अलग स्थानों पर कुल 18 तथा नगर पालिका/पंचायत क्षेत्रों में 10 अस्थाई केन्द्र खोले गए हैं जहां कुल मिलाकर 1200 निराश्रित पशुओं को रखा गया है।

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पकड़ से दूर 67 फीसद गोवंशी

वैसे तो विभाग गोवंशियों के संरक्षण लिए तत्परता दिखा रहा है लेकिन गो आश्रय केन्द्रों पर मौजूद पशु संख्या विभागीय लापरवाही को भी बयां कर रहे हैं। तकरीबन ग्यारह माह पूर्व शुरु की गई व्यवस्था के तहत जनपद के कुल 28 केन्द्रों पर महज 1200 पशु रखे जाने की सूचना है जबकि विभाग द्वारा कराये गए सर्वे में जिले में कुल निराश्रित पशुओं की संख्या 3727 है। यानी इतनी कवायद के बाद भी अभी 2527 पशु विभागीय पकड़ से दूर हैं। भले ही इन पशुओं की धर-पकड़ व खान-पान पर करोड़ों रुपये खर्च किया जा चुका हो लेकिन हकीकत कुछ और ही है।

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अधूरा पड़ा वृहद गो संरक्षण केन्द्र

निराश्रित पशुओं को रखने के लिए वित्तीय वर्ष 2018-19 में मनियर ब्लाक के जिगिरसंड में वृहद गो संरक्षण केन्द्र बनाना शुरु हुआ था। एक करोड़ बीस लाख की लागत से बनने वाला यह केन्द्र आज तक चालू नहीं हो पाया। तत्कालीन परिस्थितियों में अधिकारियों की चुस्ती को देखकर ऐसा लग रहा था मानों छह माह के अंदर ही काम पूरा कर लिया जाएगा और निराश्रित पशुओं को उचित ठिकाना मिल जाएगा, लेकिन मौसम की बेरुखी व देखरेख के अभाव में अभी भी यह केन्द्र आधा अधूरा पड़ा है। अतिवृष्टि के बाद यह पशुआश्रय केन्द्र टापू में तब्दील हो गया है। विभाग के अनुसार इस केन्द्र का 80 फीसद कार्य पुरा किया जा चुका है। पानी कम होने के बाद अधूरा कार्य पूरा करा दिया जाएगा।

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करम्बर का गो संरक्षण केन्द्र बना नजीर

बेरुआरबारी: ब्लाक क्षेत्र के करम्बर स्थित गो संरक्षण केन्द्र बाकी केन्द्र के लिए नजीर प्रस्तुत कर रहा है। एक गैर सरकारी संगठन के सहयोग से इसी वर्ष फरवरी में शुरु किया गया था जो बाद में ग्राम प्रधान को सुपूर्द कर दिया गया। प्रधान प्रतिनिधि राजेश सिंह के देख रेख में संचालित होने वाला यह गो संरक्षण केन्द्र अपने आप में एक उदाहरण है। वर्तमान में यहां 65 गो वंशियों को रखा गया है। इन निराश्रित पशुओं के रहने, खाने व पीने के अलावा हर व सुविधा मौजूद है जो आवश्यक है। पशुओं को पानी पीने के लिए बनाया गया पानी से लबालब भरा दस मीटर लम्बा डैम, नाद चरण में मौजूद भूसा व चारा हकीकत बयां करने के लिए पर्याप्त है। हां पशुओं की देखभाल के लिए मिलने वाली सहायता राशि को लेकर थोड़ी नाराजगी जरुर है। प्रधान प्रतिनिधि ने बताया कि प्रति पशु 21 रुपये प्रति दिन के हिसाब से उपलब्ध कराया जाता है जो काफी कम है। सरकार को इस ओर ध्यान देने की जरुरत है। वहीं गो संरक्षण केन्द्र की बाउंड्री न होने से आ रही दिक्कतों को भी बयां किया। वहीं मनियर पानी टंकी स्थित अस्थाई गो आश्रय केन्द्र पर वर्तमान में 37 पशुओं को रखा गया है। जबकि नगरा के रघुनाथ पुर में 46 पशु मौजूद हैं। जबकि खंदवा का गो आश्रय केन्द्र आधा अधूरा पड़ा है।

वर्जन

अतिवृष्टि व बाढ़ के कारण आधा दर्जन से अधिक गो संरक्षण केन्द्रों में पानी लग गया था। इसके चलते पशुओं को जगह-जगह स्थानांतरित कर दिया गया था। पानी कम होने के बाद गोवंशियों को स्थाई केन्द्रों में शिफ्ट करा दिया जाएगा। इसके अलावा शेष केन्द्र मानक के अनुरूप संचालित किए जा रहे हैं। निराश्रित गो वंशियों के रहने-खाने की उचित व्यवस्था तो है ही समय-समय पर उनका मेडिकल चेक अप भी कराया जाता है।

डॉ.अशोक मिश्र

मुख्य पशु चिकित्साधिकारी


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