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अनाथ बच्चों को सहारा देने को आगे आया समाज

जागरण संवाददाता बलिया कोरोना महामारी के दौरान शहर और गांव में बहुत बड़ा फर्क देखन

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 04:46 PM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 04:46 PM (IST)
अनाथ बच्चों को सहारा देने को आगे आया समाज
अनाथ बच्चों को सहारा देने को आगे आया समाज

जागरण संवाददाता, बलिया : कोरोना महामारी के दौरान शहर और गांव में बहुत बड़ा फर्क देखने को मिला। शहरों में जब आसपास किसी परिवार में कोराना से मौत की जानकारी होती थी तो लोग दूरी बना लेते थे, मगर गांवों में ऐसी स्थिति बहुत कम दिखी। गांव में आपदा की इस घड़ी में भी लोगों ने दूरी नहीं बनाई, बल्कि आगे आकर पीड़ित परिवार की मदद करते रहे। सब कुछ भूलकर पीड़ित परिवार के साथ खड़े होने का साहस दिखाया।

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उदाहरण के रूप में दलनछपरा गांव को लिया जा सकता है। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान इस गांव में एक महिला और एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। इससे महिला के चार बच्चे अनाथ हो गए। उधर, व्यक्ति की भी छह संतानें हैं। पांच लड़की और एक लड़का। दो लड़कियों की शादी होने के बाद वे अपने ससुराल में हैं, लेकिन चार की देखभाल मां और दादी मिलकर करती थीं। मां की मौत के बाद दादी पर घर की सारी जिम्मेदारी आ गई। घटना के बाद गांव में इस बात की चर्चा होने लगी कि अब इन बच्चों का पालन -पोषण कैसे होगा। कौन इन्हें पढ़ाएगा, घर में एक बुजुर्ग महिला क्या-क्या करेगी। गांव के कुछ लोग आगे आए और मदद की बात कहने लगे, वहीं जो साम‌र्थ्यवान नहीं थे उन्होंने किसी दूसरे के माध्यम से मदद कराने की ठान ली। घटना के दूसरे दिन से ही गांव और समाज के लोगों की ओर से पीड़ित परिवार के यहां मदद पहुंचनी शुरू हो गई। यह देख हर किसी को कहना पड़ा- 'आज भी अच्छा है गांव।'

सबसे पहले पहुंची सूर्यभान की मदद

: गांव से लगभग 15 किलोमीटर दूर के गांव जयप्रकाशनगर के समाजसेवी सूर्यभान सिंह तक जब इन अनाथ बच्चों की सूचना पहुंची तब वह खुद भी कोरोना संक्रमित थे, लेकिन उन्होंने अच्छी आर्थिक मदद दी। आगे भी परिवार को मदद देते रहने का भरोसा दिया। विधायक सुरेंद्र सिंह ने भी पीड़ित परिवार को खाद्यान्न व अन्य प्रकार की मदद दी।

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एसओएस चिल्ड्रन विलेज ने लिया परिवार को गोद : माता-पिता खोने के बाद अनाथ हुए बच्चों को वाराणसी के एसओएस चिल्ड्रेन विलेज ने गोद ले लिया है। 10 साल की पुत्री और चार साल के पुत्र को अपने यहां नामांकन कराकर पढ़ाना भी आरंभ कर दिया है। वहीं संस्था की ओर से दो पुत्रियों सहित दादी के लिए प्रत्येक माह 2100 के हिसाब से 6300 रुपये घर चलाने व पढ़ाई के लिए आ रहे हैं। इससे पहले बच्चों की दाखिले के लिए संस्था की ओर से 8200 का चेक भी दिया गया था। अब दादी सहित बच्चों की जिदगी पटरी पर आ गई है। इस तरह जनपद में कुल 58 अनाथ बच्चे चिह्नित किए गए हैं। सभी के लिए सरकार भी तत्पर है। बाल गोपाल योजना के तहत प्रत्येक बच्चे को 4000 मासिक, तीन माह पर 12000 रुपये भेजने की योजना है।


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