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एकात्म मानव दर्शन पर विद्वानों ने रखे विचार

जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के तत्वावधान में मंगलवार को Þएकात्म मानव दर्शन व भारतीय शिक्षा की पुन‌र्प्रतिष्ठाविषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित की गई।

By JagranEdited By: Published: Tue, 04 Aug 2020 04:59 PM (IST)Updated: Tue, 04 Aug 2020 04:59 PM (IST)
एकात्म मानव दर्शन पर विद्वानों ने रखे विचार
एकात्म मानव दर्शन पर विद्वानों ने रखे विचार

जागरण संवाददाता, बलिया: जननायक चन्द्रशेखर विश्वविद्यालय के दीनदयाल उपाध्याय शोधपीठ के तत्वावधान में मंगलवार को एकात्म मानव दर्शन व भारतीय शिक्षा की पुन‌र्प्रतिष्ठा'विषय पर ऑनलाइन संगोष्ठी आयोजित की गई। मुख्य वक्ता पुनरुत्थान विद्यापीठ, अहमदाबाद की कुलपति प्रो. इंदुमती काटदरे ने कहा कि जीव व जगत को देखने की शाश्वत ²ष्टि ही बीसवीं सदी में एकात्म मानव दर्शन बना। इस दर्शन को जीवन में उतारे बिना परिवर्तन की अपेक्षा नहीं की जा सकती।

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दीनदयाल अनुसंधान केन्द्र, दिल्ली के अध्यक्ष प्रो. महेश चंद्र शर्मा ने बताया कि एकात्म मानव दर्शन व्यष्टि-समष्टि, सृष्टि व परमेष्टि की एकात्मकता की बात करता है। वहीं अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में विवि की कुलपति प्रो. कल्पलता पाण्डेय ने कहा कि प्रेम, आनंद, त्याग व सेवा जैसे मूल्यों के आधार पर कुटुंब केंद्रित समाज व्यवस्था का निर्माण करना होगा। इसमें प्रो. एमएल छिप्पा, प्रो. जसबीर सिंह, प्रो. विवेक वसंतराव काटदरे, प्रो. संजीव, प्रो. एसके मिश्र, प्रो. श्यामबाबू, प्रो. मानस पाण्डेय आदि ने प्रतिभाग किया। इस मौके पर शोधपीठ के संयोजक डॉ. रामकृष्ण उपाध्याय, डॉ. प्रमोद शंकर पाण्डेय, डॉ. दयालानंद राय व डॉ. अनिल कुमार मौजूद थे।


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