राम नाम के स्मरण से ही कल्याण संभव
रामचरित मानस का प्रत्येक चरित्र इस कलिकाल में अनुकरणीय है। मानस का प्रत्येक पात्र जीवन की सफलता और कर्तव्य निष्ठा का पाठ पढ़ाता है। यह बात जगदरा शिव मन्दिर पर चल रही मानस कथा के पांचवे दिन मानस मर्मज्ञ पंडित अमर नाथ त्रिपाठी ने कही। कहा कि कविकुल शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास ने भरत के चरित्र पर जो प्रकाश डाला है
जासं, पूर (बलिया) : रामचरित मानस का प्रत्येक चरित्र इस कलिकाल में अनुकरणीय है। मानस का प्रत्येक पात्र जीवन की सफलता और कर्तव्य निष्ठा का पाठ पढ़ाता है। यह बात जगदरा शिव मन्दिर पर चल रही मानस कथा के पांचवे दिन मानस मर्मज्ञ पंडित अमर नाथ त्रिपाठी ने कही।
पं.अमर नाथ ने कहा कि कवि कुल शिरोमणि गोस्वामी तुलसीदास ने भरत के चरित्र पर जो प्रकाश डाला है वह मानव कल्याण के लिए सदैव मार्गदर्शक का काम करेगा। मानस में भरत राम को परम स्नेही, जग जप राम राम जप जेहि के द्वारा भरत के चरित्र को सामने रखने का काम किया है। परमात्मा राम स्वयं भरत के नाम का स्मरण कर यह साबित कर दिया है कि भरत के जैसा कोई अन्य नहीं है। वहीं हनुमान के चरित्र का बखान शब्दों में नहीं किया जा सकता। इस दौरान मनुष्य को भावी की विशेषता का बखान करते हुए कहा कि मुनि वशिष्ठ ने सुनहू भरत भावी प्रबल, बिलखि कहेउ मुनिनाथ। हानि, लाभ, जीवन, मरण, यश, अपयश विधि हाथ के द्वारा खुद ही इस बात को प्रमाणित कर दिया है। कलियुग में पूरे मानव समाज को भरत चरित्र को आत्मसात करते हुए राम नाम का स्मरण करना चाहिए तभी कल्याण संभव है।
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