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गांवों में प्रधान के चुनाव के लिए पोस्टरवार का दौर

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By JagranEdited By: Published: Sun, 12 Jan 2020 05:01 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jan 2020 05:01 PM (IST)
गांवों में प्रधान के चुनाव के लिए पोस्टरवार का दौर

जागरण संवाददाता, इंदरपुर (बलिया) : शासन की ओर से प्रदत्त धन से ग्राम पंचायतों की तकदीर भले ही न बदली हो पर पांच वर्ष के लिये चुने गये सरपंच (प्रधान) की तकदीर जरूर बदल जा रही है। ग्राम सभा का चुनाव आते ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर गांवों में शुरू हो गया है।, गांवों की गलियां पोस्टरों से भरी पड़ी है वहीं सोशल मीडिया पर चुनाव लड़ने की तीखी बहस देखी जा रही है। आंकड़ों पर नजर दौड़ाई जाय तो प्रदेश शासन द्वारा 14 वें वित्त की दूसरी किस्त के रूप में समस्त पंचायतों को 6 हजार करोड़ रुपये दिए गए हैं तो राज्य सरकार ने अपने हिस्से से 2 हजार करोड़ रुपये जारी किए हैं।

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इसके साथ ही स्वच्छ भारत मिशन की तरफ से 4.945 करोड़ रुपये जारी करने की सूचनाएं तैर रही हैं। मनरेगा के बजट में भी बढ़ोत्तरी हुई है। इस धन को जोड़ दिया जाए तो औसतन एक व्यक्ति के लिए 1094 रुपये प्रति व्यक्ति सरकार ने विकास हेतु दिए हैं। इतना सबकुछ होने के बाद भी 21 वीं सदी में गांवों में न तो समुचित विकास हो रहा है न ही ग्राम पंचायत के पैसे से तकदीर बदल पा रही है। हां,इतना जरूर हो रहा है कि एक पंचवर्षीय योजना के लिये चुने जा रहे सरपंच की तकदीर व तस्वीर बदल जा रही है। यही वजह है कि ब्लाक चिलकहर के ग्रामीण अंचलों में पंचायत चुनाव लड़ने के लिए युवाओं में होड़ मची है। जिनकी उम्र पढ़-लिखकर रोजगार तलाशने की है वह भी पंचायत स्तर का चुनाव लड़कर गांवों का विकास करने का सब्ज बाग दिखाते नजर आ रहे हैं।


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