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खुला जेल का फाटक, ताजा हुई अमर शहीदों की यादें

सूर्योदय की लाली जैसे-जैसे तेज प्रकाश में तब्दील हो रही थी वैसे-वैसे ही बागी धरती पर देश भक्ति नारे भी तेज होते जा रहे थे। सुबह से ही माहौल देश भक्ति रंगों में रंगा नजर आने लगा था। नगर में वीर कुंवर सिंह चित्तू पांडेय रामदहिन ओझा सहित तमाम महापुरुषों की प्रतिमा को इस दिन विशेष रुप से सजाया गया था। इस दिन कहीं गोपाल दास नीरज के गीत-ताकत वतन की हमसे है हिम्मत वतन की हमसे है लाउडस्पीकर से गूंज रहे थे तो कहीं ऐ मेरे वतन के लोगों.जरा आंख में भर लो पानी.गीत को सुनकर सभी का मन आजादी के दिनों की ओर खींचे चला जा रहा था।

By JagranEdited By: Published: Mon, 19 Aug 2019 06:00 PM (IST)Updated: Tue, 20 Aug 2019 02:05 AM (IST)
खुला जेल का फाटक, ताजा हुई अमर शहीदों की यादें
खुला जेल का फाटक, ताजा हुई अमर शहीदों की यादें

जागरण संवाददाता, बलिया : सूर्योदय की लाली जैसे-जैसे तेज प्रकाश में तब्दील हो रही थी, वैसे-वैसे ही बागी धरती पर देश भक्ति नारे भी तेज होते जा रहे थे। सुबह से ही माहौल देश भक्ति रंगों में रंगा नजर आने लगा था। नगर में वीर कुंवर सिंह, चित्तू पांडेय, रामदहिन ओझा सहित तमाम महापुरुषों की प्रतिमा को इस दिन विशेष रूप से सजाया गया था। इस दिन कहीं गोपाल दास नीरज के गीत-ताकत वतन की हमसे है, हिम्मत वतन की हमसे है, लाउडस्पीकर से गूंज रहे थे तो 'कहीं ऐ मेरे वतन के लोगों, जरा आंख में भर लो पानी' गीत को सुनकर सभी का मन आजादी के दिनों की ओर खींचे चला जा रहा था। नगर के बुजुर्गो से लेकर नौजवानों तक में विशेष आज विशेष उत्साह था, इसलिए कि वे आजादी के विशेष मायने को समझते हैं। तब के हालात अवगत लोग बताते हैं कि यह वह दिन है जब 1942 में बलिया कुछ दिनों के लिए ही सही देश भर में पहले आजाद हो गया था। तब लगभग 50 हजार क्रांतिकारियों का जनसैलाब बांसडीह से अपनी विजय पताका लिए हुए शहर में प्रवेश किया था, जिले के विभिन्न तहसीलों, थानों व सरकारी इमारतों पर आधिपत्य हो जाने से सरकार पहले से ही परेशान थी।

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उसी समय निवर्तमान डीएम जे. निगम तथा अन्य अधिकारियों को घेर लिया गया। बिगड़े हालात को भांपते हुए जे. निगम व पुलिस कप्तान ने सभी राजनीतिक बंदियों को जेल से छोड़ने का आदेश दे दिया और चित्तू पांडेय से वार्ता के बाद जेल का फाटक खोल दिया गया। फाटक खुलते ही समस्त कांग्रेसजन नारे लगाते हुए बाहर निकलकर हजारों क्रांतिकारियों में मिल गए, जिनका इंकलाब जिंदाबाद के नारों से स्वागत किया गया। उसी परंपरा का निर्वाह आज भी किया जाता है। इस साल भी सेनानियों संग नगर के प्रमुख लोगों ने उस परंपरा का निर्वाह किया। सोमवार की सुबह नौ बजे जेल का फाटक खुला और सेनानियों संग प्रमुख लोग जेल के अंदर जाकर, जेल से बाहर आए। प्रतीकात्मक जेल का फाटक खुलने के बाद सेनानियों व अन्य प्रमुख लोगों का यह जत्था नगर भ्रमण कर सभी महापुरुषों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। इस दौरान वंदेमातरम, भारत माता की जय, के नारों से पूरा नगर दिन भर गूंजता रहा। इस मौके पर जिलाधिकारी भवानी सिंह खंगारौत, पुलिस अधीक्षक देवेंद्र नाथ दुबे, सेनानी रामविचार पांडेय, पूर्व मंत्री राजधारी सिंह, शशिकांत चतुर्वेदी, अनिल राय, ओमप्रकाश तिवारी, भारती सिंह, शिव कुमार सिंह कौशिकेय, निर्मल उपाध्याय, चित्तू पांडेय के प्रपौत्र विनय पांडेय व जैनेंद्र पांडेय, मिटू, पूर्व चेयरमैन लक्ष्मण गुप्ता, नपा चेयरमैन अजय कुमार, ईओ दिनेश विश्वकर्मा, नेहरू युवा केंद्र के समन्वयक कपिलदेव राम, अफसर आलम, मुन्ना उपाध्याय, विवेकानंद सिंह, मंटू दुबे सहित सैकड़ों लोग मौजूद थे।


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