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बंद रसड़ा चीनी मिल चालू कराने को मिलता रहा आश्वासन

बंद रसड़ा चीनी मिल चालू कराने को मिला मात्र आश्वासन हुआ कुछ नहीं

By JagranEdited By: Published: Thu, 09 May 2019 10:34 PM (IST)Updated: Fri, 10 May 2019 06:24 AM (IST)
बंद रसड़ा चीनी मिल चालू कराने को मिलता रहा आश्वासन

जासं, रसड़ा (बलिया) : जंग-ए-आजादी में अग्रणी भूमिका निभाने वाला यह जनपद अब भी विकास के मायने में काफी पीछे है। जिले को उद्योगहीनता से बाहर निकालने के लिए किसी भी स्तर पर ठोस प्रयास न होने से यहां के श्रमिक पलायन को विवश हैं। 16 जनवरी वर्ष 1974 में स्थापित हुई रसड़ा चीनी मिल से कामगारों को आस बंधी जरूर थी, लेकिन उसे भी लगभग चार वर्ष पहले बंद कर दिया गया। उस समय मिल में लगभग 2500 श्रमिक व कर्मचारी कार्यरत थे, लेकिन मिल के अत्यंत जर्जर होने, मरम्मत न होने तथा मशीनों के सड़ जाने के कारण उसे बंदकर दिया गया। परिणामस्वरूप इसमें काम कर अपना तथा परिवार की जीविका चलाने वाले श्रमिक रोजगार के अभाव में बेकार हो गए।

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मौजूदा स्थिति यह है कि मिल बंद होने के कारण कुछ कर्मचारियों को घोसी तथा सठियांव चीनी मिल में समायोजित कर दिया गया, इसके बावजूद इसके आज भी लगभग 500 श्रमिक भुखमरी के शिकार हैं कितु उनके बारे में सोचने वाला कोई नहीं है। खास बात यह कि वर्ष 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बलिया आगमन पर इस मिल को आधुनिक तकनीकी से पीपीपी माडल के जरिये चलाये जाने की घोषणा की थी और इस मिल को चलाने के लिए मंत्रिमंडल ने भी अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी थी। बताते हैं कि मिल को चलाने के लिए टेंडर की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई थी, लेकिन विधानसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के बाद सारी प्रक्रियाएं रोक दी गई। चुनाव के बाद भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस मिल को चलाने के लिए घोषणा की थी लेकिन अभी तक इस दिशा में कौन-सी कार्रवाई की जा रही है इसका पता नहीं चल पा रहा है।

रसड़ा चीनी मिल को पुन: चालू कराने के लिए मिल श्रमिकों के साथ-साथ विभिन्न राजनीतिक दलों ने भी आंदोलन चलाया कितु सिर्फ आश्वासनों के अलावा कुछ भी हाथ नहीं लगा। इस संबंध में अक्टूबर 2018 को रसड़ा चीनी मिल के उपसभापति एवं राष्ट्रीय सहकारी शक्कर कारखाना संघ के निदेशक चंद्रशेखर सिंह ने राज्यपाल से मिलकर रसड़ा की चीनी मिल को चालू कराए जाने की मांग की थी जिस पर राज्यपाल द्वारा सकारात्मक कदम उठाए जाने का भरोसा दिलाया गया था।

गौरतलब है कि आज भी क्षेत्र के गन्ना कृषक लगभग तीन लाख क्िवटल गन्ना की सप्लाई घोसी व प्रतापपुर देवरिया को दे रहे हैं। यदि प्रदेश सरकार इस चीनी मिल को पुन: चलाने की दिशा में सार्थक पहल करती है तो निश्चित तौर पर इस क्षेत्र के गन्ना कृषक पूर्व की भांति गन्ना की पैदावार शुरू कर देंगे।


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