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गंगा उफान पर, कटान से केहरपुर का अस्तित्व खतरे में

गंगा उफान पर होने से तटवर्ती इलाकों में संकट गहरा गया है। केहरपुर गांव के सामने गंगा का कटान तेज होने के कारण 100 मीटर की लंबाई में 40 मीटर भीतर तक कटान आ गया है। इसने अवशेष केहरपुर के अस्तित्व को संकट उत्पन्न हो गया है। पानी टंकी. ब्रह्मचारी जी का आश्रम सहित कई इमारत व कई लोगों का मकान बिल्कुल गंगा के किनारे आ गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 02 Sep 2019 04:45 PM (IST)Updated: Mon, 02 Sep 2019 04:45 PM (IST)
गंगा उफान पर, कटान से केहरपुर का अस्तित्व खतरे में

जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया): गंगा उफान पर होने से तटवर्ती इलाकों में संकट गहरा गया है। केहरपुर गांव के सामने गंगा का कटान तेज होने से 100 मीटर की लंबाई में 40 मीटर भीतर तक कटान आ गया है। इसने अवशेष केहरपुर के अस्तित्व को संकट उत्पन्न हो गया है। पानी टंकी. ब्रह्मचारी आश्रम सहित कई इमारत व कई लोगों का मकान बिल्कुल गंगा के किनारे आ गया है। कटान की जद में होने के कारण ये कभी भी गंगा में विलीन हो सकते हैं। कटान के मुहाने पर आए तेजनारायण दुबे, जलेश्वर दुबे, सुरेंद्र दुबे, जयप्रकाश ओझा, पशुपति नाथ ओझा आदि अपने मकान उजाड़कर सुरक्षित स्थानों पर पलायन करने लगे हैं।

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अचानक कटान तेज होने के कारण गांव के अस्तित्व को खतरा तो उत्पन्न हो ही गया है। अगर यही स्थिति रही तो एनएच 31 को भी खतरा उत्पन्न हो जाएगा। बाढ़ विभाग के लोग यहां कटान रोकने के लिए प्लास्टिक के बोरियों में ईंट भरकर कटान स्थल पर डलवा रहे है। बावजूद इसके कटान की गति में कोई कमी नहीं आ रही है। पूरे गांव में अफरा-तफरी का माहौल है। सुघर छपरा के सामने भी कटान तेज है और वहां भी लगातार गंगा बस्ती की तरफ बढ़ती जा रही है। गंगा का रौद्र रूप देख तटवर्ती लोग काफी परेशान है। तटवर्ती लोगों का आरोप है कि बाढ़ विभाग के अधिकारी बजट के अभाव की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं, जबकि यहां कटानरोधी कार्य में यहां व्यापक रूप से धांधली की सूचना मिल रही है। स्थानीय लोगों ने तत्काल कार्रवाई के लिए जिलाधिकारी का ध्यान अपेक्षित किया है। दुबेछपरा रिग बंधे पर कटानरोधी

कार्य ठप, लोगों में आक्रोश

दुबेछपरा रिग बंधे पर एक बार फिर कटानरोधी कार्य पूरी तरफ ठप पड़ गया है। इससे बंधे के अंदर बसे गांवों के लोगों में आक्रोश है। यह आलम तब है जब हल्के उफान मे होने के बाद ही गंगा की लहरें इसी महीने बंधे पर दो बार प्रहार कर ग्रामीणों के साथ ही विभागीय अधिकारियों को भी सकते में ला चुकी है। विभागीय अधिकारियों की इस संवेदनहीनता की शिकायत ग्रामीणों ने जिलाधिकारी से की है।  गंगा का वेग थमने के साथ ही एक बार फिर दुबेछपरा रिग बंधे पर बचाव कार्य ठप पड़ गया है। इससे प्रभावित गांवों के लोगों में आक्रोश है। गोपालपुर निवासी संदीप तिवारी, पंकज तिवारी, चंद्रकात तिवारी उदई छपरा के रामपरसन सिंह, पशुपति सिंह आदि ने बताया कि गंगा का वेग कम होने की सूचना के बाद ही बचाव कार्य पूरी तरह शिथिल पड़ गया। मौके से जेनरेटर आदि को भी हटा लिया गया जबकि दुबेछपरा रिग बंधे के उक्त स्थान के पास गंगा की लहरें जमकर कहर बरपाया था। तब इसकी शिकायत बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता वीरेंद्र सिंह से की गई। लोगों का आरोप है कि शिकायत के बाद अभियंता ने ग्रामीणों को खरी-खरी सुनाते हुए कहा कि संसाधन की आवश्यकता जहां होगी वहां जाएगा, जरूरी नहीं कि एक ही स्थान पर पड़ी रहे।

इनसेट-

-नया आशियाना तलाशने लगे

मझरोट बस्ती के लोग

जासं, दोकटी (बलिया): गंगा के जलस्तर में लगातार हो रही वृद्धि व कटान के चलते कटान के मुहाने पर स्थित ग्राम पंचायत शिवपुर कपूर दियर का पूरवा मझरोट बस्ती व ग्राम पंचायत बहुआरा के जगदीशपुर तथा मुरारपट्टी ग्राम पंचायत के अनुसूचित बस्ती दामोदरपुर के लोग अपना सुरक्षित आशियाना ढूंढने में जुट गए हैं। सामानों को रिश्तेदारियों व किराए के मकानों में सुरक्षित कर रहे हैं। कटान का आलम यह है कि मझरोट बस्ती से कटान 20 मीटर की दूरी पर है। दामोदरपुर कटान स्थल से मात्र 15 मीटर की दूरी पर स्थित है, जबकि सबसे विकट स्थिति से जगदीशपुर व नरदरा गांव गुजर रहे हैं। आलम यह है कि मकान का आधा हिस्सा गंगा में विलीन हो गया है तो आधे बचे हिस्से में लोग रह रहे हैं। वर्ष 2013 में कटान की वजह से बेघर हुए ज्यादातर लोगों को मुआवजा नहीं मिल सका है। वही हाल 2016 के कटान पीड़ितों का है। मकान गंगा में विलीन हो गई, अधिकारी मौके पर आकर जायजा लिए लेकिन आज तक मुआवजा नहीं मिल सका।


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