अफसरों के जेब हरे, पौधे गायब, 9.70 लाख डकारे
जागरण संवाददाता बलिया महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में अफ
जागरण संवाददाता, बलिया : महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में अफसरों ने खूब खेल खेला। सर्वाधिक गड़बड़ी पौधारोपण कार्य में हुआ है। करीब 9.70 लाख रुपये पौधा रोपित करने के नाम पर निकाले गए हैं। 2019 और 2020 में इनका रोपण हुआ था। सोशल आडिट टीम की जांच में सामने आया है कि यहां श्रमिकों का कोई पसीना नहीं बहाया गया, लेकिन धनराशि डकार ली गई। मामले में विकास खंड प्रभारियों के खिलाफ कार्रवाई की तलवार लटक रही है। पौधारोपण के नाम पर सिर्फ अफसरों के जेब हरे हुए, धरातल पर पौधे गायब मिले। मुख्य विकास अधिकारी प्रवीण कुमार वर्मा ने इन सभी मामलों में नोटिस जारी किया है। संबंधित खंड विकास अधिकारियों का वेतन रोकने की कार्रवाई की है।
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केस 1 : सोहांव ब्लाक के रामगढ़ गांव में नहर मुख्य मार्ग पर 64,740 रुपये पौधारोपण कार्य में खर्च किए गए। जांच के दौरान यहां कोई पौधा नहीं मिला। इसी तरह बेलहरी ब्लाक के एकौन सिवान से बजरहां गांव तक खड़ंजा तक दोनों तरफ 26,750 रुपये का पौधा गायब हो चुका है। केस 2 : बेलहरी के मझौंआ ग्राम पंचायत में एनएच-31 के स्पर पर बाढ़ से बचाव के लिए 23575 रुपये के पौधे लगाए थे, जो अब गायब हैं। कृपालपुर गांव में कब्रिस्तान के चारों तरफ लगाए गए करीब 64,100 रुपये के पौधे गायब हो चुके हैं। जांच में सिद्ध हो चुका है। केस 3 : सीयर ब्लाक के कुर्हातेतरा गांव में किसान धुरंजीत के खेत में 6,725 रुपये के लगे पौधे गायब हो चुके हैं, यहां दो साल पौधे रोपित करने के दावे किए गए थे। इसी तरह रसड़ा ब्लाक के फिरोजपुर में हनुमान मंदिर के परिसर में पौधे लगाने के नाम पर 8833 रुपये निकाले गए हैं। जांच में पौधे गायब मिले हैं।
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नगरा में सर्वाधिक रुपये निकाले गए
सोहांव 73,740 रुपये, बेलहरी 1,31048, पंदह 10724, नवानगर 26915, सीयर 17600, बैरिया 17175, रसड़ा 65276, नगरा 4,45790, बांसडीह 167623 व रेवती ब्लाक में 14150 रुपये।
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मनरेगा योजना के तहत कराए गए कार्यों की जांच दो साल पहले हुई थी। धरातल पर पौधे नहीं मिले हैं। देखने से भी ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था कि उन स्थानों पर पहले कभी कार्य भी हुआ था। गड्ढा भी नहीं दिखाई पड़ा। रिपोर्ट मनरेगा श्रम रोजगार विभाग को भेजी गई है।
- अवधेश चौरसिया, प्रभारी, सोशल आडिट सेल, विकास विभाग