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खत्म नहीं हो रहा भ्रष्टाचार, कागजों में बंटता पोषाहार

आंगनबाड़ी बच्चों की पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए ग्राम स्तर पर सरकार द्वारा समर्थित एक केंद्र है। आंगनवाड़ी केंद्र का उद्देश्य छह वर्ष तक की आयु के बच्चों, किशोर युवतियों, गर्भवती महिलाओं तथा शिशुओं की देखरेख करने वाली माताओं की आवश्यकताओं की पूर्ति करना है। आंगनवाड़ी केंद्र को कायर्कत्री व सहायिका चलाती हैं। वहीं उनकी चे¨कग के लिए मुख्य सेविकाओं को तैनात किया गया है।

By JagranEdited By: Published: Wed, 30 Jan 2019 05:11 PM (IST)Updated: Wed, 30 Jan 2019 05:11 PM (IST)
खत्म नहीं हो रहा भ्रष्टाचार, कागजों में बंटता पोषाहार
खत्म नहीं हो रहा भ्रष्टाचार, कागजों में बंटता पोषाहार

आंगनबाड़ी

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--पशुपालक अपने पशुओं को खिलाते हैं आंगनबाड़ी केंद्रों का पोषाहार

--विभागीय लापरवाही से केंद्रों पर नहीं हो रहा जिम्मेदारियों का निवर्हन जनपद में आंगनबाड़ी केंद्रों का आंकड़ा

जनपद में आंगनबाड़ी केंद्र-3455

निरस्त चल रहे आंगनबाड़ी केंद्र-225

तैनात कार्यकत्री 3230, सहायिका 2350

ब्लाकवार परियोजना कार्यालय-18

कुल सुपरवाइजरों की संख्या-74

प्रतिमाह पोषाहार आवंटन 734.98 मिट्रिक टन लवकुश ¨सह

---------- जागरण संवाददाता, बलिया : आंगनवाड़ी केंद्र का उद्देश्य छह वर्ष तक की आयु के बच्चों, किशोर युवतियों, गर्भवती महिलाओं तथा शिशुओं की देखरेख करने वाली माताओं की आवश्यकताओं की पूर्ति करना है। पोषाहार संग अन्य कई तरह की सुविधाएं आंगनबाड़ी केंद्रों को प्रतिमाह मुहैया कराई जाती है। लेकिन ब्लाकवार स्थापित परियोजना कार्यालयों पर विभागीय भ्रष्टाचार ने अपना पांव इस कदर जमा लिया है कि 90 फीसदी आंगनबाड़ी केंद्र अपनी असल जिम्मेदारियों का निवर्हन करते नहीं दिखते।

-हर माह होता है 734.98 मिट्रिक टन पोषाहार का आवंटन

जनपद में कुल 3455 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इनमें 851 मिनी आंगनबाड़ी केंद्र भी शामिल हैं। बाल विकास परियोजना कार्यालय से प्राप्त आंकड़े के अनुसार जिले में प्रतिमाह लगभग 734.98 मिट्रिक टन पोषाहार का आवंटन होता है। वहीं गांव के लोग बताते हैं कि जब यह पोषाहार विभागीय घालमेल के बाद गांव के आंगनबाड़ी केंद्रों पर पहुंचता है तो वह बच्चों या संबंधित महिलाओं को नहीं मिलता। उसे पशुपालक आंगनबाड़ी केंद्रों से खरीद कर अपने पशुओं को खिला देते हैं। इसके बावजूद भी विभागीय अधिकारियों का दावा है कि हर जगह सबकुछ ठीक चल रहा है। यहां तक कि पोषाहार सही तरीके से वितरित करने की रिपोर्ट भी हर माह शासन को भेज दी जाती है। भ्रष्टाचार का आलम यह है कि कई गांवों के लोग तो आज तक अपने गांव के कई आंगनबाड़ी केंद्रों के विषय में कुछ नहीं जानते।

चे¨कग के नाम पर होती है वसूली

आंगनबाड़ी केंद्रों के चे¨कग के नाम पर प्रतिमाह वसूली की बात भी खुले तौर पर सामने आती है। कई कार्यकत्रियां तो यहां तक बताती हैं कि ब्लाक मुख्यालय के परियोजना कार्यालय पर बिना चढ़ावा पोषाहार तक नहीं दिया जाता है। हर केंद्र पर मानक से कम पोषाहार देने की परंपरा भी लंबे समय से चल रही है। यही वजह है कि चढ़ावा की भरपाई करने के लिए आंगनबाड़ी केंद्रों का पोषाहार बाजारों में बिक्री हो जाता है।


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