संसार में प्रेम से बड़ा कुछ भी नहीं : श्रीकांत शर्मा
जागरण संवाददाता, बलिया : धरती पर जो चीजें हैं वह कहीं अन्यत्र नहीं है। यहां पर नश्वर होते
जागरण संवाददाता, बलिया : धरती पर जो चीजें हैं वह कहीं अन्यत्र नहीं है। यहां पर नश्वर होते हुए भी हम शाश्वत को पा सकते हैं। विनाशी होकर अविनाशी को पा सकते हैं। जन्मा होकर अजन्मा को पा सकते हैं। इस लिए पृथ्वी से श्रेष्ठ कोई अन्य जगह नहीं है। नास्तिक और आस्तिक के जीवन में बड़ा अंतर होता है। नास्तिक के जीवन में कोई विपरीत घटना होती है तो वह ईश्वर को दोष देने लगता है। अपनी तकदीर को दोष देने लगता है, लेकिन आस्तिक के जीवन में कोई विपरीत घटना होती है तो वह ईश्वर की कृपा मानकर ग्रहण करता है।
उक्त बातें शहर के टाउन हाल मैदान में श्री राधा माधव सेवा मंडल एवं श्री वृंदावन धाम की वाट्सएप ग्रुप की तरफ से आयोजित सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा के छठवें दिन कथा वाचक श्रीकांत शर्मा जी ने व्यक्त कही। उन्होंने कहा कि आस्तिक भगवान से यही कहता है कि Þतेरे फूलों से भी प्यार, तेरे कांटों से भी प्यार। हमको दोनों ही पसंद, तेरी धूप और छांव। लोग जीवन के एक पक्ष को देखने लगते हैं। बच्चों को एक ही पक्ष की जानकारी देते हैं। खुश रहो और मौज करो। दोनों को ग्रहण करने के लिए ही उन्हें तैयार करना चाहिए। उन्होंने कहा प्रेम से बड़ा कुछ भी नहीं है। प्रेम से मनुष्य का जीवन सुखी होता है। सब कुछ भगवान की मर्जी पर चलता है। मनुष्य को नियति के साथ समझौता करना सीखना चाहिए, जीव जब अकड़ कर चलता है तो वह यह भूल जाता है कि ईश्वर राजा को रंक और रंक को राजा बना सकते हैं। सारी उत्पत्ति के कारण भगवान हैं। भगवान के आधार पर ही सब कुछ टिका हुआ है। रविवार को कथा में श्रीकृष्ण और राधा का रास प्रसंग, कंस वध और रुक्मिणी विवाह की भव्य झांकी का मंचन हुआ। पंडाल के श्रद्धालु विवाह गीत पर आनंद विभोर होकर झूमने लगे, वही महिलाएं पीला वस्त्र धारण कर आई थीं। सोमवार को अंतिम दिन कथा शाम को होने की जगह सुबह 8 बजे से 11 बजे तक होगी जो भव्य भंडारे के साथ समाप्त होगी।