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चमकी बुखार से निबटने को अस्पताल में नहीं विशेष प्रबंध

बिहार में मासूमों पर चमकी बुखार यानी अक्यूट इन्सेफलाइटिस सिड्रोम का कहर जारी है। मौत का आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है और अस्पताल में स्थिति भयावह हो चुकी है। इसको लेकर पूर्वांचल के अस्पतालों में भी अलर्ट जारी किया गया है। लेकिन हैरत की बात यह कि इस रोग के उपचार की कोई अतिरिक्त व्यवस्था जिला अस्पताल में नहीं है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 20 Jun 2019 07:32 PM (IST)Updated: Fri, 21 Jun 2019 12:06 AM (IST)
चमकी बुखार से निबटने को अस्पताल में नहीं विशेष प्रबंध
चमकी बुखार से निबटने को अस्पताल में नहीं विशेष प्रबंध

जागरण संवाददाता, बलिया : बिहार में मासूमों पर चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिड्रोम का कहर जारी है। मौत का आंकड़ा थमने का नाम नहीं ले रहा है और अस्पताल में स्थिति भयावह हो चुकी है। इसको लेकर पूर्वांचल के अस्पतालों में भी अलर्ट जारी किया गया है, लेकिन हैरत की बात यह कि इस रोग के उपचार की कोई अतिरिक्त व्यवस्था जिला अस्पताल में नहीं है। भगवान न करे यह महामारी बलिया में अपना पांव पसारे, लेकिन बलिया में यदि एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिड्रोम ने पांव पसारा तो इसे नियंत्रित करने के लिए यहां कोई विशेष प्रबंध नहीं है। जिम्मेदार लोग केवल अलर्ट जारी कर अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किए जा रहे हैं। जिला अस्पताल व जिला महिला अस्पताल में हर दिन की तरह गुरुवार को भी मरीजों का उपचार होता रहा। मरीज के बेड के चादर भी तभी साफ तभी दिखते हैं जब किसी बड़े नेता या अधिकारी का आगमन होता है।

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बिहार के अधिकतर जनपदों में इंसेफ्लाइटिस सिड्रोम दिमागी बुखार से 150 से भी ज्यादा बच्चों की मौत के बाद जिले में भी सर्वत्र इसी बात की चर्चा हो रही है। इस बीमारी ने तीन दशक पहले 1994 में बिहार के मुजफ्फरपुर में दस्तक दिया था, लेकिन उसके बाद भी इस बीमारी की कोई स्पेशल दवा की खोज आज तक नहीं हो सकी है। इस रोग की पहचान को लेकर जिला अस्पताल के डाक्टर भी कुछ स्पष्ट नहीं बोल रहे हैं। सामान्य तौर पर बताते हैं कि इस बीमारी में तेज बुखार संग शरीर में झटके आना, हाथ पैर अकड़ जाना, बेहोश हो जाना, शरीर का चमकना या कांपना, शरीर पर चकत्ते निकलना, ग्लूकोज व पानी का शरीर का कम हो जाना, शुगर कम हो जाना आदि है। बचाव के ये हैं उपाय

इस तरह के बुखार से बचाव के लिए बच्चों को धूप से दूर रखें। शरीर में पानी की कमी न होने दें। अधिक से अधिक पानी पीएं और खाना हल्का और सादा खिलाएं। जंक फूड से दूर रखें। रात को खाने के बाद थोड़ा मीठा जरूर खिलाएं। घर से आस-पास पानी जमा न होने दें। कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें और रात को सोते समय मच्छरदानी का प्रयोग जरूर करें। लक्षण मिलने पर बच्चों को तत्काल अस्पताल पहुंचाएं। ताकि उसका सही रुप से उपचार किया जा सके। एक्यूट इंसेफ्लाइटिस सिड्रोम के लिए सभी डाक्टरों को अलर्ट किया गया है। इसके लिए एक अतिरिक्त वार्ड भी स्थापित कर दिया गया है। ऐसे रोगी आने पर उनकी उसी वार्ड में जांच की जाएगी। उन्हें अलग वार्ड में भर्ती किया जाएगा। प्राथमिक तौर पर जो भी जरूरी उपचार हैं वे किए जाएंगे। वैसे अभी तक ऐसे केस बलिया में नहीं मिले हैं। इसके लिए सबको सतर्कता बरतने की सलाह दी जा रही है।

-एस. प्रसाद, सीएमएस, जिला अस्पताल।

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