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साहित्य के जरिए मुंशीजी ने दिया है भाईचारे का संदेश

मुंशी प्रेमचंद में विद्यमान थी साहित्य सृजन की प्रतिभा

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 06:00 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 06:00 PM (IST)
साहित्य के जरिए मुंशीजी ने दिया है भाईचारे का संदेश
साहित्य के जरिए मुंशीजी ने दिया है भाईचारे का संदेश

जागरण संवाददाता, बलिया : साहित्य के माध्यम से समाज में प्रेम और भाईचारे का संदेश देने वाले कलम के अद्भुत सिपाही, महान उपन्यासकार 'मुंशी प्रेमचंद जी' की 140वीं जयंती पर शुक्रवार को उन्हें साहित्य जगत के लोगों ने नमन किया। उनके लिखे गोदान, गबन, रंगभूमि एवं सोजे वतन जैसे उपन्यासों की भी चर्चा की गई। मुंशी प्रेमचंद के विचारों को आत्मसात करने का संकल्प लिया गया।

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चंद्रशेखर नगर स्थित शक्ति स्थल स्कूल के अवध बिहारी तिवारी लहरी हाल में जयंती के मौके पर मुख्य वक्ता विद्यालय के प्रबंधक दुर्गादत्त त्रिपाठी ने कहा कि प्रेमचंदजी में साहित्य सृजन की जन्मजात प्रतिभा विद्यमान थी। प्रधानाचार्य आशुतोष त्रिपाठी ने कहा कि मंत्र प्रेमचंद की एक मर्मस्पर्शी कहानी है जो उच्च एवं निम्न स्थिति के भेदभाव पर आधारित है। अंबिका देवी ने कहा कि सच्चे अर्थों में कलम के सिपाही और जनता के दुख-दर्द के यथार्थ चित्रण करने वाले इस महान कथाकार को भारतीय साहित्य जगत में उपन्यास सम्राट की उपाधि से विभूषित किया गया है। इस मौके पर नीलू श्रीवास्तव, अतुल पांडेय, संतोष ठाकुर, शिव शंकर सिंह, नीरज वर्मा, दुर्गा उपाध्याय आदि मौजूद रहे।

इसी क्रम में अखिल भारतीय विकास संस्कृति साहित्य परिषद की ओर से मुंशी प्रेमचंद की जयंती आनंद नगर स्थित कार्यालय पर मनाई गई। वरिष्ठ साहित्यकार सुदेश्वर अनाम ने प्रेमचंद को महान लोकप्रिय कथाकार बताया। डॉ.फतेहचंद बेचैन ने कहा कि प्रेमचंद ने अपने समय में समाज में व्याप्त मजदूर, किसान, रिश्वतखोरी, विधवाएं, बेमेल विवाह आदि कुरीतियों पर अपनी लेखनी चलाकर तीखा प्रहार किया। इस मौके पर डॉ.आदित्य कुमार अंशु, डॉ.नवचंद तिवारी, राधिका तिवारी, डॉ.जितेंद्र स्वाध्यायी, डॉ.नंदजी नंदा, डॉ.राजेंद्र आदि मौजूद थे।

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समाज की कुरीतियों पर किया प्रहार

दुबहर : हिदी साहित्य के कालजई रचनाकार मुंशी प्रेमचंद्र की जयंती मंगल पांडेय विचार मंच के कार्यालय अखार ढ़ाला नगवां पर मनाई गई। मंच के प्रवक्ता बब्बन विद्यार्थी ने कहा कि मुंशी प्रेमचंद्र की रचनाएं युगों-युगों तक अमर रहेंगी। इनकी रचनाओं में समाज की कुरीतियों पर प्रहार किया गया है। इस अवसर पर विचार मंच के अध्यक्ष कृष्णकांत पाठक, उमाशंकर पाठक, डॉ.सुरेश चंद्र प्रसाद आदि उपस्थित रहे।


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