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मामूली विवाद को छुटभैया नेताओं ने दे दिया तूल

घघरौली गांव में आमतौर पर मेहनत मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले बस्ती के लोग पुलिस व व्यवस्था से कैसे टकरा गए गए। ये एक बड़ा सवाल है यदि इस समस्या के नीचे जाकर देखे तो कुछ गांव के तथाकथित छुटभैये सड़क छाप नेताओं ने ग्रामीणों को उकसाया और कानून के साथ खिलवाड़ करने को प्रेरित किया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 May 2019 07:17 PM (IST)Updated: Wed, 29 May 2019 07:17 PM (IST)
मामूली विवाद को छुटभैया नेताओं ने दे दिया तूल
मामूली विवाद को छुटभैया नेताओं ने दे दिया तूल

जागरण संवाददाता, बांसडीहरोड (बलिया) : घघरौली गांव में आमतौर पर मेहनत मजदूरी कर जीवनयापन करने वाले बस्ती के लोग पुलिस व व्यवस्था से कैसे टकरा गए। ये एक बड़ा सवाल है, यदि इस समस्या की तह में जाकर देखे तो कुछ गांव के तथाकथित छुटभैये नेताओं ने ग्रामीणों को उकसाया और कानून के साथ खिलवाड़ करने को प्रेरित किया। हालांकि मामले की शुरूआत में भीड़ का प्रतिनिधित्व कर रहे नेता बवाल को बढ़ाकर निकल लिए, जिसके बाद ग्रामीणों पुलिस के खिलाफ मोर्चा खोलकर लड़ाई का ऐलान कर दिया और इस लड़ाई में दर्जनों पुलिसकर्मियों समेत राजस्व के अधिकारी भी घायल हुए हैं। इसके बाद पुलिस की कार्रवाई में काफी संख्या में ग्रामीणों को भी चोटें आई, लेकिन इस विवाद के जनक उन्हें उलझाकर चलते बने। फिलहाल ग्रामीणों के समझ में बात आए या न आए लेकिन पुलिस ने इस मामले में छुपे रेफरियों को पहचान लिया है। लिहाजा उनके ऊपर भी कार्रवाई की गाज गिरनी तय है। लंबे समय से है दो परिवारों का जीना हराम

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संख्या बल के आधार पर जब किसी के हक का उत्पीड़न होता है तो घघरौली जैसी घटना का जन्म होता है। जहां प्रशासन के भी पसीने छूट जाएं वहां एक आम आदमी अपने हक-हुकूक की लड़ाई कैसे लड़े, इसका उदाहरण घघरौली गांव बन गया है। में प्रशासन व ग्रामीणों के बीच हुए खूनी संघर्ष ने इसी बात को उजागर किया है कि आखिरकार कैसे बस्ती के लोगों द्वारा अपने संख्याबल को आधार बनाकर सही गलत से परे एक अलग कानून का निर्माण किया जा रहा है। जिसमें किसी संवैधानिक व्यवस्था को भी दखल देने की इजाजत नहीं दी जाती है। मामला वर्षो पुराना है। यहां दो परिवार के लोगों का लंबे समय से जीना हराम है। उनके घर के सामने कुछ काश्तकारी की जमीन है तो पास ही में खलिहाल वे गड़ही के नाम से दर्ज कुछ जमीन है। उसी में एक शिवालय का भी निर्माण हुआ है। इस जमीन पर बांध बस्ती के कुछ लोगों की नजर है और इसके लिए बाकायदा अवैध कब्जेदारी की तैयारी भी है। इस परिवार के लोगों का कहना है कि उक्त जमीन में से हमें हमारी जमीन पैमाइश कर अलग कर दी जाए और नियमानुसार ग्रामसभा की जमीन से होकर रास्ता दे दिया जाए। इसके बाद कि जमीन चाहे जैसे उपयोग में लाई जाए। बस इसी बात को लेकर वर्षो से मामले में राजनीति सक्रिय है। अब तक छह बार हो चुकी है पैमाइश

विगत एक वर्ष में उक्त जमीन की छह बार अधूरी पैमाइश हो चुकी है। हर बार कुछ ऐसा पेच फंसता चला आ रहा है कि राजस्व टीम और पुलिस बल को वापस बैरंग लौटना पड़ता था। किसी भी पैमाइश को स्थानीय लोगों द्वारा अमान्य बनाया जाता रहा है। हारकर राजस्व टीम ने भी इस मसले को छोड़ दिया था। मंगलवार को जब दबंगई की सीमा पार कर उक्त जमीन पर एक बस्ती के लोगों द्वारा निर्माण शुरू कर दिया गया तो देखते ही देखते विवाद की रूपरेखा बननी शुरू हो गई। संबंधित परिवारों ने इसका विरोध किया लेकिन निर्माण नहीं रोक पाए। हारकर उन्होंने कानून की शरण ली और निर्माण रोकने की गुहार लगाई। इसके बाद जब उक्त अवैध निर्माण को रोकने के लिए राजस्व व पुलिस टीम पहुंची तो उन्हें उसी भीषण दंश का सामना करना पड़ा। 450 अज्ञात लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज

बांसडीहरोड पुलिस ने इतिहास के सारे रिकार्डो को तोड़ते हुए घघरौली के बवाल में 56 लोगों के खिलाफ नामजद व 450 अज्ञात लोगों के खिलाफ संगीन धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है। अज्ञात में 200 महिलाएं व 250 पुरुष के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत हुआ है। माना जा रहा है कि गांव में प्रशासनिक अधिकारियों के साथ कि गई मारपीट के खिलाफ अब प्रशासन बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है। इस बारे में इंस्पेक्टर बांसडीहरोड योगेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि जिस तरह गांव में अराजकता फैलाई गई उसी तरह से कार्रवाई भी की जाएगी। मामले में अभी पत्थरबाजों को तेजी से चिह्नित किया जा रहा है। जल्द ही बड़े पैमाने पर कार्रवाई की रूपरेखा दिखाई देगी।

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