कटान के स्थाई निदान की ओर मस्त ने बढ़ाए मजबूती से पांव
जनपद को बाढ और कटान से मुक्त करने की दिशा में सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने अच्छी पहल की है। उन्होंने संसद में भी मजबूती से इस सवाल को उठाया और मांग किया कि यहां कटान का स्थाई निदान अति आवश्यक है। कटान के चलते ही जनपद की एक बड़ी आबादी हर साल बेघर हो जाती है। बड़े स्तर के किसान भी जमीन चले जाने के चलते कंगाल हो जा रहे हैं। बाढ़ की विभिषिका का जिक्र करते हुए उन्होंने यह बताने का काम किया कि बाढ़ के कारण बलिया के किसानों की भारी क्षति हुई है। जिसकी भरपाई नहीं हुई तो किसान भारी संख्या में संकट का सामना करेंगे।
जागरण संवाददाता, बलिया : जनपद को बाढ़ और कटान से मुक्त करने की दिशा में सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त ने अच्छी पहल की है। उन्होंने संसद में भी मजबूती से इस सवाल को उठाया और मांग किया कि यहां कटान का स्थाई निदान अति आवश्यक है। कटान के चलते ही जनपद की एक बड़ी आबादी हर साल बेघर हो जाती है। बड़े स्तर के किसान भी जमीन चले जाने के चलते कंगाल हो जा रहे हैं। बाढ़ की विभीषिका का जिक्र करते हुए उन्होंने यह बताने का काम किया कि बाढ़ के कारण बलिया के किसानों की भारी क्षति हुई है। जिसकी भरपाई नहीं हुई तो किसान भारी संख्या में संकट का सामना करेंगे।
इसके अलावा भारत सरकार के जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को पत्र लिखकर भी अपने संसदीय क्षेत्र में एक केंद्रीय टीम भेजने का आग्रह किया है कि जनपद में बाढ़ व कटान से हो रहे नुकसान का जायजा लेने के साथ इस कटान व बाढ़ से स्थाई निदान हेतु पक्का तटबंध बनाने व गंगा का ड्रेजिग करवाने हेतु सर्वेक्षण कर रिपोर्ट मंगाया जाए। इसके लिए धन आवंटित करने का भी आग्रह किया है। उन्होंने केंद्रीय मंत्री को बताया कि मुहम्मदाबाद से लेकर बैरिया तक गंगा का तटवर्ती इलाका कटान व बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित है। हर साल करोड़ों का नुकसान होता है, हजारों एकड़ उपजाऊ जमीन गंगा में समा जा रही है। लोगों की जानें भी जा रही है। ऐसे में केंद्रीय दल के रिपोर्ट के अनुसार यहां धन स्वीकृत कर इस समस्या का समाधान कराया जाए। सांसद ने स्पष्ट किया कि अब तक बाढ़ व कटानरोधी कार्य पर 100 करोड़ से अधिक रुपये व्यय किए जा चुके हैं। फिर भी समस्या जस की तस है। इसलिए केंद्रीय टीम के रिपोर्ट के अनुसार कटान का स्थाई समाधान कर दिया जाए। इससे लोगों को नुकसान से निजात मिले व सरकारी धन के दुरुपयोग को रोका जा सके।