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विभाग में पंजीकरण कराए बगैर दुकान चलाना गलत

मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी महेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि खाद्य पदार्थ की कोई भी दुकान विभाग में बिना पंजीयन कराए चलाना गलत हैं। खाद्य एवं औषधि विभाग में अब ऑफ लाइन कुछ भी नहीं है। जिले में केवल रजिस्ट्रेशन कराकर लाखों की कमाई करने वाले ऐसे कई दुकानदार हैं जो सरकार की आंखों में धूल झोंक रहे हैं ऐसे लोगों पर अब नकेल कसने की तैयारी है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 21 Apr 2019 09:51 PM (IST)Updated: Mon, 22 Apr 2019 06:18 AM (IST)
विभाग में पंजीकरण कराए बगैर दुकान चलाना गलत
विभाग में पंजीकरण कराए बगैर दुकान चलाना गलत

जागरण संवाददाता, बलिया : खाद्य पदार्थ की कोई भी दुकान विभाग में बिना पंजीयन कराए चलाना गलत हैं। खाद्य एवं औषधि विभाग में अब ऑफ लाइन कुछ भी नहीं है। जिले में केवल रजिस्ट्रेशन कराकर लाखों की कमाई करने वाले ऐसे कई दुकानदार हैं जो सरकार की आंखों में धूल झोंक रहे हैं, ऐसे लोगों पर अब नकेल कसने की तैयारी है। उनसे अब शपथ पत्र लिया जा रहा है, जिसमें वे व्यवसाय से होने वाले वार्षिक आय का स्पष्ट उल्लेख करेंगे। यह बात मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी महेंद्र श्रीवास्तव ने कही।

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रविवार को दैनिक जागरण के प्रश्न प्रहर कार्यक्रम में पाठकों के सवालों का जवाब देते हुए महेंद्र ने कहा कि जिले में थोक दवा विक्रेता के नाम पर लाइसेंस लेकर जो रिटेल का व्यवसाय कर रहे हैं उनकी भी जांच कर कार्रवाई करनी होगी। इस साल खाद्य पदार्थ की दुकानों से 347 नमूने लिए गए, जिसमें दो सौ के रिपोर्ट निगेटिव आए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि 12 लाख सलाना आय वाले दुकानदार को वार्षिक दो हजार शुल्क के साथ लाइसेंस दिया जाता है जबकि इससे नीचे के वार्षिक आय वाले दुकानदारों का वार्षिक एक सौ रुपये शुल्क लेकर केवल पंजीयन किया जाता है। पंजीयन और लाइसेंस दोनों के अलग मानक तय किए गए हैं। पाठकों के साथ सवाल-जवाब के प्रमुख अंश-

प्रश्न : सिकंदरपुर में मिलावट वाली मिठाइयों की बिक्री ज्यादा हो रही है। दुकानदार रिफाइन के नाम पर ग्राहकों को मूर्ख बना रहे हैं, जांच क्यों नहीं होती।

उत्तर : होली के समय अभियान चलाया गया था। ऐसे दुकानदारों की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।

प्रश्न : जितनी दुकानों से जांच के लिए नमूने लिए जाते हैं, उतने दुकानदारों पर कार्रवाई नहीं होती है।

उत्तर : जांच के लिए नमूने बाहर भेजे जाते हैं, वहां से नकारात्मक रिपोर्ट आने के बाद जुर्माना लगाया जाता है। जिनके रिपोर्ट सही आते हैं उन्हें छोड़ दिया जाता है।

प्रश्न : मेडिकल दुकानदार थोक विक्रेता का लाईसेंस लेकर रिटेल की दुकानदारी करते हैं। ऐसे दुकानदारों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती।

उत्तर : ऐसा नहीं है, शिकायत मिलने पर जांच की जाती है। ऐसी शिकायतें बहुत से स्थानों से आ रही है। इस पर भी विभागीय उच्च अधिकारियों से बात करने के बाद अभियान चलाया जाएगा।

प्रश्न : ठेला आदि पर खाद्य सामग्री बेचने वाले दुकानदार मानक को दरकिनार कर खुले में सामानों की बिक्री करते हैं। इससे स्वास्थ्य पर भी असर पड़ता है, कार्रवाई क्यों नहीं होती।

उत्तर : ठेला दुकानदारों को भी पंजीयन कराकर खाद्य सामग्री बेचने के निर्देश हैं। यदि वे बिना पंजीयन खुले में खाद्य सामग्री बेचते पाए जाते हैं तो उन पर विभाग की ओर से कार्रवाई की जाएगी।

प्रश्न : मेरे राशन कार्ड में यूनिट कम चढ़ा है, क्या करुं।

उत्तर : यह मेरे विभाग का मामला नहीं है, इसकी शिकायत विभागीय अधिकारी से करें।

प्रश्न : नगर में खोवा दुकानों पर भी मिलावट की शिकायत मिलती है।

उत्तर : इनकी हमेशा जांच होती रहती है, पिछले दिनों खोवा के कुल सात नमूने लिए गए थे, जिसमें दो की रिपोर्ट निगेटिव है। उन पर कार्रवाई की प्रक्रिया चल रही है।

प्रश्न : आपके के विभाग में जांच के नाम पर दुकानदारों के शोषण की भी शिकायतें है, ऐसा क्यों होता है।

उत्तर : इस तरह के आरोप सही नहीं हैं, गलत पाए जाने पर ही वे जुर्माना के शिकार होते हैं।

इन्होंने पूछे सवाल

गोपाल शर्मा-खेजुरी, बंटी गुप्ता-खड़सरा, मुकेश कुमार-पचफोरा, अंजनी सिंह- आसन, मिथिलेश-दुबहर, बिदु- सिकंदरपुर, आशुतोष-चंदाडीह, मुन्ना- छाता, रामनाथ-बेरुआरबारी, पंकज- बैरिया, दीपक नगर।


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