जन-जागरूकता के अभाव में पॉलीथिन पर रोक असंभव
जसुरेमनपुर-रानीगंज-बैरिया मार्ग पर निर्माणाधीन भागड़नाला सेतु के दक्षिणी छोर पर भागड़ की सार्वजनिक जमीन पर कतिपय दबंगों द्वारा अवैध निर्माण कर सार्वजनिक भूमि को कब्जा करने की घटना पर बीबी टोला के दर्जनों लोगों ने आपत्ति जताया है। साथ ही उपजिलाधिकारी बैरिया को शिकायती पत्र देकर तत्काल अवैध कब्जा हटवाने की गुहार लगाई है। इस संदर्भ में दिव्यांग वीरेंद्र वर्मा सहित दर्जनों ग्रामीणों ने बताया कि कोटवां मौजा में पड़ने वाली इस भूमि पर अवैध कब्जा के सिलसिला को नहीं रोका गया तो पूरा भागड़नाला अतिक्रमणकारियों के कब्जे में होगा। दिव्यांग वीरेंद्र वर्मा ने स्पष्ट किया कि अतिक्रमण हटाने का आदेश तत्कालीन उपजिलाधिकारी विपिन कुमार जैन द्वारा दिया गया था कितु अधीनस्थों ने उसका अनुपालन नहीं किया। अगर अतिक्रमण नहीं हटाया गया तो हम लोग अनशन पर बैठने को विवश होंगे।
जागरण संवाददाता, सुखपुरा (बलिया) : प्रदेश सरकार पॉलीथिन, प्लास्टिक व थर्माकोल के प्रयोग पर प्रतिबंध लगाने के बाद भी इसका धड़ल्ले से उपयोग हो रहा है। जन सहयोग के अभाव में धरातल पर यह अभियान मूर्तरूप नहीं ले पा रहा है। प्रतिबंध के सरकारी आदेश के एक वर्ष बद भी हालात में विशेष परिवर्तन नजर नहीं आ रहा है। पॉलीथिन या प्लास्टिक का प्रयोग मानव जीवन के साथ ही पर्यावरण के लिए घातक है। बावजूद इसके प्रयोग पर लगाम नहीं लग पा रही है। इसके पीछे कहीं न कहीं जन जागरूकता का अभाव है। इससे छुटकारा कैसे मिले, इस बाबत दैनिक जागरण ने समाज के प्रबुद्ध जनों से प्रतिक्रिया चाही तो लोगों ने बेबाकी से अपनी बातें रखी। प्लास्टिक के उपयोग को पूरी तरह बंद करने के लिए आमजन को जागरूक करना होगा। लोगों को समझाना होगा कि पॉलीथिन का प्रयोग किस प्रकार उनके स्वास्थ्य में जहर घोल रहा है। प्रतिबंध के बावजूद उपयोग में कमी न होना चितनीय है।
-विजय शंकर सिंह, पूर्व प्रधानाचार्य। पॉलीथिन मानव जीवन के साथ-साथ पर्यावरण के लिये भी खतरा बन गया है। फिर भी किसी का ध्यान नहीं है। अब तो गांव के लोग भी झोला लेकर बाजार नहीं जाते। सब्जियों से लेकर तेल तक पॉलीथिन में लाया जा रहा है। सरकार को समय रहते सख्त रुख दिखाना होगा।
-बृजमोहन प्रसाद अनारी, गीतकार। प्लास्टिक के कचरे जमीन में दबकर एक तरफ जहां भूजल को प्रदूषित कर रहा है तो दूसरी ओर खेतों की उर्वरा शक्ति पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। बावजूद इसका प्रयोग हो रहा है। लोगों को सोच बदलनी होगी और सचेत होना होगा।
-सुभाष, समाजसेवी
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पॉलीथिन सभी के लिये खतरा बन गया है बावजूद लोग आदतों में बदलाव नहीं ला रहे हैं। घर से लेकर दुकान तक इसका अंधाधुंध प्रयोग निश्चित रूप से मानव खतरा बन गया है। सरकार को इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है और सख्ती से प्रयोग को बंद करने की दरकार है।
-आचार्य बरमेश्वर पांडेय, पूर्व प्राचार्य, संस्कृत महाविद्यालय। आज पॉलीथिन से गांवों की नालियां भरी पड़ी हैं। सड़कों के अगल-बगल पॉलीथिन का अंबार लगा है। जिसे मवेशी खाते हैं इससे उन्हें असाध्य बीमारी होती है। जिन्हें इलाज के बाद भी बचाना संभव नहीं हो पा रहा है। पॉलीथिन का प्रयोग न सिर्फ मानव के लिये, बल्कि मवेशियों के लिये भी काल बन गया है।
-सत्य प्रकाश गुप्त, शिक्षक। सरकार के लाख प्रयास के बाद भी पॉलीथिन प्रयोग पर रोक नहीं लग पा रही है। गांव से लेकर शहर तक यह नासूर बन गया है। पर्यावरण से लेकर उर्वरा शक्ति को प्रभावित करने वाली इस समस्या के प्रति आम आदमी की चुप्पी समझ से परे है। इसके लिए समाज को जागरूक होने की जरूरत है तभी पर्यावरण को संरक्षित किया जा सकेगा।
-राजनारायण सिंह, पूर्व मत्स्य निदेशक।