97 करोड़ के सीवरेज प्रोजेक्ट मामले में हाईकोर्ट की तनी भृकुटि
पिछले 13 सालों से नगर क्षेत्र में कराये जा रहे सीवरेज निर्माण कार्य में लेटलतीफी और घालमेल को संज्ञान मे लेते हुए उच्च न्यायालय इलाहाबाद ने जिलाधिकारी व ईओ नगरपालिका को समस्त प्रमाणों के साथ 12 जुलाई को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट के 17 मई 2019 के आदेश के बाद नगर पालिका समेत जल निगम में हडकंप मचा हुआ है। बता दें कि 9691.71 लाख (लगभग 97 करोड़) की लागत से दो फेज में बनाए जाने वाले सीवरेज प्रोजेक्ट
जागरण संवाददाता, बलिया : इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने पिछले 13 सालों से नगर क्षेत्र में कराए जा रहे सीवरेज निर्माण कार्य में लेटलतीफी और घालमेल को संज्ञान में लिया है। इस मामले में उच्च न्यायालय ने बलिया के जिलाधिकारी व ईओ नगरपालिका को समस्त प्रमाणों के साथ 12 जुलाई को कोर्ट में हाजिर होने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट के 17 मई 2019 के आदेश के बाद नगर पालिका समेत जल निगम में हडकंप मचा हुआ है। बता दें कि 9691.71 लाख (लगभग 97 करोड़) की लागत से दो फेज में बनाए जाने वाले सीवरेज प्रोजेक्ट की शुरुआत वर्ष 2006-07 में की गई थी, लेकिन 13 वर्षों बाद भी यह योजना अधर में लटकी हुई है। हालांकि सीवरेज के नाम पर सरकारी धन का जमकर बंदरबांट किया गया। इस दौरान मानकों की अनदेखी कर न सिर्फ कार्यदायी संस्था को लाभ पहुंचाया गया, बल्कि अनर्गल भुगतान भी किए गए।
हालात का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उक्त प्रोजेक्ट के प्रथम फेज को जल निगम जहां छह साल पूर्व ही नपा को हैंडओवर किए जाने की बात कर रहा है, वहीं नगर पालिका प्रशासन इससे साफ इन्कार कर रही है। विभागीय गोलबंदी व राजनीतिक संरक्षण में सीवरेज प्रोजेक्ट में हुई घपलेबाजी तथा देरी को आधार बनाकर इंटक नेता विनोद कुमार सिंह ने हाईकोर्ट में पीआइएल दाखिल कर मामले में हस्तक्षेप करने तथा सरकारी धन के लूट-खसोट की एसआइटी से जांच कराने की मांग की थी। यही नहीं शिकायतकर्ता ने अनुरोध किया है कि शासन द्वारा अक्टूबर 2018 में तकनीकी सलाहकार समिति द्वारा कराई गई जांच में दोषी मिले एक दर्जन से अधिक अधिकारियों व कर्मचारियों से रिकवरी व उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की कार्रवाई की जाए।
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