बोआई व फसल कटाई के समय हमेशा गरजती हैं बंदूकें
उत्तर प्रदेश-बिहार सीमा विवाद काफी लंबे अर्से से लंबित होने के कारण प्रत्येक वर्ष 22642 हेक्टेयर के गंगबरार क्षेत्र में सीमा विवाद के कारण जोताई-बोआई व फसल कटाई के समय उत्तर प्रदेश के किसानों व बिहार के दबंगों के बीच हमेशा बंदूकें गरजती हैं। पिछले कई बार हुए संघर्ष में बिहार व प्रदेश के आधा दर्जन किसानों की मौत होने के बावजूद आज तक सीमा विवाद का स्थाई हल नहीं ढूंढा जा सका।
जागरण संवाददाता, मझौवां (बलिया): उत्तर प्रदेश-बिहार सीमा विवाद काफी लंबे अर्से से लंबित होने के कारण प्रत्येक वर्ष 22642 हेक्टेयर के गंगबरार क्षेत्र में सीमा विवाद के कारण जोताई-बोआई व फसल कटाई के समय उत्तर प्रदेश के किसानों व बिहार के दबंगों के बीच हमेशा बंदूकें गरजती हैं। पिछले कई बार हुए संघर्ष में बिहार व प्रदेश के आधा दर्जन किसानों की मौत होने के बावजूद आज तक सीमा विवाद का स्थाई हल नहीं ढूंढा जा सका। प्रत्येक वर्ष बोआई व फसल कटाई के समय दोनों प्रदेश के सीमाओं पर स्थित जनपदीय अधिकारियों की बैठक होती है ¨कतु उसमें लिए गए निर्णय का कार्यान्वयन आज तक नहीं होने के कारण प्रत्येक वर्ष नए-नए रूप में शासन-प्रशासन के सामने आ जाता है। केंद्र सरकार ने सन 1972 में इस सीमा विवाद के लिए सीएल त्रिवेदी आयोग का गठन कर सीमा विवाद का हल ढूंढने का प्रयास किया था। बिहार व प्रदेश के किसानों द्वारा कई बार इसकी मांग करने के बावजूद केंद्र व प्रदेश सरकारों द्वारा विवाद की उपेक्षा की जा रही है। अब तो थक-हार कर प्रदेश के किसानों ने केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ ¨सह व भाजपा के राष्ट्रीय किसान मोर्चा के अध्यक्ष सांसद वीरेंद्र ¨सह मस्त को पत्रक देकर किसी नए आयोग की गठन की मांग की है। अभी भी प्रदेश का चर्चित हांसनगर दियारा, भड़सर, ओझवलिया, अगरौली, बिहारीपुर, पोखरा, गायघाट, दुर्जनपुर, रिकिनी छपरा, चौबे छपरा आदि दियारों में प्रदेश व बिहार के किसानों के बीच प्रत्येक वर्ष संघर्ष का रुप लेता है।