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हरी सब्जियों के भाव गिरे, उत्पादकों के चेहरे पर मायूसी

हरी सब्जियों का औंधे मुह गिरने से सब्जी उत्पादकों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है। बाजार भाव इस कदर गिरा है कि मुनाफा की बात तो दूर लागत निकलना भी मुश्किल हो रहा है। वहीं भाग गिरने की वजह से खरीदार काफी खुश दिख रहे हैं। स्थानीय बाजार में खुदरा रेट में भिडी

By JagranEdited By: Published: Sat, 08 Jun 2019 06:29 PM (IST)Updated: Sat, 08 Jun 2019 11:36 PM (IST)
हरी सब्जियों के भाव गिरे, उत्पादकों के चेहरे पर मायूसी
हरी सब्जियों के भाव गिरे, उत्पादकों के चेहरे पर मायूसी

जागरण संवाददाता, बैरिया (बलिया) : हरी सब्जियों के दाम औंधे मुह गिरने से सब्जी उत्पादकों के चेहरे पर मायूसी छाई हुई है। बाजार भाव इस कदर गिर गया कि मुनाफा कमाना तो दूर लागत निकाल पाना भी हुआ मुश्किल। भाव गिरने की वजह से खरीदार काफी खुश दिख रहे हैं। स्थानीय बाजार में खुदरा रेट में भिडी, सतपुतिया तथा खीरा 10 रुपये प्रति किलोग्राम के भाव से बिक रहे हैं, वहीं बोरो पांच रुपये, नेनुआ आठ रुपये, करैला व कटहल 15 रुपये तथा परवल 25 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जा रहा है।

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परवल को छोड़ दें तो अन्य हरी सब्जियों की लागत निकलना मुश्किल लग रहा है। भीषण गर्मी की वजह से हरी सब्जियों की फसल की लगातार सिचाई करने तथा कीटनाशकों व उर्वरकों के उपयोग से दिन-ब-दिन लागत बढ़ती जा रही है, इसके बावजूद किसान कम कीमत पर बेचने को मजबूर है। सब्जियों के भाव गिरने से किसान परेशान हैं। किसानों का कहना है कि कृषि उत्पादन को छोड़कर बाकी उत्पादों में लागत, श्रम व मुनाफा जोड़कर विक्रय दर निर्धारित किया जाता है जबकि कृषि उत्पादन के साथ ऐसा नहीं है। चाहे सब्जी हो या खाद्यान्न सबके साथ यही दिक्कत है।

भले ही किसानों को घाटा हो, लेकिन सरकारें मौन साधे रहती हैं। इसके अलावा हरी सब्जियों के लिए भंडारण की व्यवस्था नहीं होना बाजार भाव कम होने की एक बड़ी वजह है। सरकार हरी सब्जियों के भंडारण व अन्य बाजार में पहुंचाने की व्यवस्था कर दे तो निश्चिय ही किसानों को लाभ मिलेगा। स्थानीय लोगों ने जिलाधिकारी व जनप्रतिनिधियों का ध्यान आकृष्ट कराते हुए क्षेत्र में सरकारी या निजी क्षेत्र में शीतगृह बनवाने का आग्रह किया है ताकि हरी सब्जियों का भंडारण संभव हो सके।

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