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समान कार्य-समान वेतन का सिद्धांत लागू करे सरकार

कहते हैं कि स्वास्थ्य से बड़ा कोई धन नहीं होता लेकिन यहां तो पूरा सिस्टम ही बीमार है। वर्षों से मेडिकल कॉलेज की मांग उठ रही है। चुनाव के दौरान इसके आश्वासन भी दिए जाते हैं वादे किए जाते हैं संकल्प दोहराया जाता है लेकिन होता जाता कुछ नहीं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एक बार फिर हर वर्ग को साधने की जुगत लगाई जा रही है। प्रलोभनों को पीटारा खोला जा रहा है। वहीं दूसरी ओर किसान से लेकर छात्र तक सिपाही से लेकर डाक्टर तक सबका

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 May 2019 07:38 PM (IST)Updated: Sat, 04 May 2019 10:23 PM (IST)
समान कार्य-समान वेतन का सिद्धांत लागू करे सरकार
समान कार्य-समान वेतन का सिद्धांत लागू करे सरकार

जागरण संवाददाता, बलिया : कहते हैं कि स्वास्थ्य से बड़ा कोई धन नहीं होता, लेकिन यहां तो पूरा सिस्टम ही बीमार है। वर्षों से मेडिकल कॉलेज की मांग उठ रही है। चुनाव के दौरान इसके आश्वासन भी दिए जाते हैं, वादे किए जाते हैं, संकल्प दोहराया जाता है, लेकिन होता जाता कुछ नहीं। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर एक बार फिर हर वर्ग को साधने की जुगत लगाई जा रही है। प्रलोभनों का पिटारा खोला जा रहा है। वहीं दूसरी ओर किसान से लेकर छात्र तक, सिपाही से लेकर डाक्टर तक सबका अपना अलग मेनिफेस्टो है। सबकी मंशा है कि वर्षों से चली आ रही परंपराएं बदलनी चाहिए। नेतृत्वकर्ता स्वच्छ व साफ छवि का होने के साथ ही सभी के प्रति समदर्शी भी हो। भ्रष्टाचार देश की तरक्की में बाधक है इस पर लगाम लगाया जाना चाहिए।

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शहर के बापू भवन में शनिवार को दैनिक जागरण ने आयुष चिकित्सकों के बीच अपनी चौपाल लगाई। इसमें पुरातन चिकित्सा पद्धति के पक्षकारों ने अनावश्यक राजनीतिक हस्तक्षेप को भ्रष्टाचार का मूल करार देते हुए कहा कि नेताओं व अधिकारियों को मानसिकता बदलनी होगी। आयुष चिकित्सकों के साथ हो रहा दोयम व्यवहार बंद होना चाहिए। प्रत्येक डाक्टर अपने मरीज के प्रति पूरी संवेदना रखता है और निष्ठापूर्वक अपने कार्य को अंजाम देता है, पर सीमित या नाम मात्र के संसाधनों के सहारे शत-प्रतिशत सफलता की गारंटी कैसे दी जा सकती है। कहा कि सरकार के निर्देशों के बावजूद पीएचसी और सीएचसी पर दवाओं का टोटा है। कहीं डाक्टर हैं तो फार्मासिस्ट मौजूद नहीं है। कहीं सबकुछ होने के बाद भी दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। तमाम दु‌र्व्यवस्थाओं के बाद आल इज वेल करने में जुटे हम संविदा डाक्टरों की कोई सुनने वाला नहीं है। समुचित साधनों के अभाव में सब कुछ बेहतर होने की उम्मीद कैसे की जा सकती है। आम अवाम से लेकर जिम्मेदारों तक का कोपभाजन बनना पड़ता है। आखिर आयुष चिकित्सकों का दोष क्या है। डाक्टरों ने व्यवस्थागत कमियों पर जमकर भड़ास निकाली और अपनी पीड़ा को भी सामने रखा। कहा कि विसंगतियों को दूर किए बिना ढोल तो पीटा जा सकता है लेकिन हासिल कुछ नहीं किया जा सकता। मतदाताओं से अपील

किसी प्रलोभन में न आएं, सही उम्मीदवार को ही मतदान करें। प्रमुख राष्ट्रीय मुद्दे

-संविदा कर्मचारियों की विसंगतियां दूर की जाए।

-समान कार्य समान वेतन का सिद्धांत लागू हो।

-सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों की कमी दूर की जाए। प्रमुख प्रदेश स्तरीय मुद्दे

-सीएचसी/ पीएचसी पर आयुष दवाएं उपलब्ध कराई जाए।

-जनसंख्या के हिसाब से दवा की उपलब्धता सुनिश्चित हो।

-अस्पतालों में संसाधनों का मुकम्मल प्रबंध किया जाए। प्रमुख स्थानीय मुद्दे

-डाक्टरों के साथ दु‌र्व्यवहार का सिलसिला बंद हो।

-सभी प्रकार की दवाइयां उपलब्ध कराई जाए।

-आयुष विग का निर्माण कराया जाए।

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