सौभाग्य के बाद भी तीन दर्जन विद्यालयों को नसीब नहीं हुई बिजली
लोकसभा चुनाव को लेकर प्रशासनिक अमला पूरी तरह एक्शंन मोड में है। बात चाहे सुरक्षा की हो या फिर व्यवस्थाओं की किसी भी मामले में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा जा रहा है। इन सब के बीच एक मामला ऐसा भी है जहां या तो प्रशासन की नजर नहीं जा रही या फिर जानबूछ कर अनजान बना जा रहा है। जी हां हम बात कर रहे हैं पालिग बूथों पर उपलव्ध मूलभूत संविधाओं की। चुनावी तैयारियों को अंतिम रुप देने में जुटे प्रशासन के समक्ष पोलिग बूथों पर
जागरण संवाददाता, सिकन्दरपुर (बलिया): लोकसभा चुनाव को लेकर प्रशासनिक अमला पूरी तरह एक्शन मोड में है। बात चाहे सुरक्षा की हो या फिर व्यवस्थाओं की किसी भी मामले में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा जा रहा है। इन सबके बीच एक मामला ऐसा भी है जहां या तो प्रशासन की नजर नहीं जा रही या फिर जानबूझ कर अनजान बना जा रहा है।
जी हां, हम बात कर रहे हैं पोलिग बूथों पर उपलब्ध मूलभूत सुविधाओं की। चुनावी तैयारियों को अंतिम रुप देने में जुटे प्रशासन के समक्ष पोलिग बूथों पर आवश्यक मूलभूत सुविधाओं की कमी को पूरा कराना किसी चुनौती से कम नहीं है। पिछले दो हफ्तों से लगातार प्रयास के बाद भी खास सुधार नजर नहीं आ रहा है। आयोग के निर्देशानुसार पोलिग स्टेशनों को मूलभूत सुविधाओं से लैस करना है। सलेमपुर लोकसभा क्षेत्र के विधानसभा क्षेत्र सिकन्दरपुर के 327 बूथों में से अभी भी लगभग तीन दर्जन बूथ दिन बहुरने का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि एसडीएम राजेश कुमार यादव इसके लिए प्रयासरत हैं और संबंधित अधिकारियों को इस बावत निर्देश भी जारी कर चुके हैं।
हालिया आंकड़े के अनुसार अभी भी विधानसभा क्षेत्र के 34 पोलिग सेंटर बिजली व्यवस्था से महरुम है। सवाल यह नहीं है कि वहां बिजली क्यों नहीं है, वस्तुत: प्रश्न यह है कि बेसिक शिक्षा विभाग इन दुर्व्यवस्थाओं के बाद अब तक चुप क्यों था। या फिर कागजों में विद्युत कनेक्शन से संतृप्त हो चुके इन प्राथमिक विद्यालयों की यह धरातलीय हकीकत है। सरकार बेसिक विद्यालयों को कांवेंट विद्यालय बनाने की बात करती है और इसके लिए पानी की तरह पैसा भी बहा रही है। हर साल इन विद्यालयों के मेंटेनेंस पर हजारों रुपए खर्च होता है। यहां तक कि बिजली कनेक्शन के लिए विद्यालयों को अलग से धनराशि स्वीकृत की जाती है। विभागीय आंकड़े में आल इज ओके होने के बाद इन विद्यालयों की ऐसी दशा ऐसी क्यों है। यदि वाकई ये विद्यालय बिजली व्यवस्था से दूर हैं तो फिर सरकार की सौभाग्य योजना ही कटघरे में है। गांव-गांव व घर-घर को रोशन करने वाली सौभाग्य योजना आखिर नन्हे भारत की पहुंच से दूर कैसे हो गई। क्या जिला प्रशासन इस ओर भी ध्यान देगा। अकेले नवानगर ब्लाक में तकरीबन एक दर्जन प्राथमिक विद्यालय बिजली व्यस्था से दूर हैं। इनमें गाहाडीह, नवानगर, हुसेनपुर पश्चिमी, चौमुखा, भरथांव, सोनवरसा, गाजीपाकड़, जजौली, अहिरपुरवा के प्राथमिक विद्यालयों के अलावा हरनाआर, सीसोटार, हुसेनपुर व जजौली के कन्या प्रावि शामिल हैं।
इनसेट
- जिले में प्राथमिक विद्यालयों की कुल संख्या- 2054
- उच्च प्राथमिक विद्यालयों की कुल संख्या- 615
- विद्युत कनेक्शन से संतृप्त विद्यालयों की संख्या- 2335
- विद्युत कनेक्शन से असंत़प्त विद्यालयों की संख्या- 334
वर्जन
- बिजली कनेक्शन से छूट गए विद्यालयों को जल्द ही इससे लैस कर दिया जाएगा। शासन से इसके लिए अनुदान प्राप्त भी हो चुक है। बिजली विभाग में कनेक्शन के लिए आवेदन किया जा चुका है। जल्द ही इन विद्यालयों की यह समस्या समाप्त हो जाएगी।
- संतोष राय, बेसिक शिक्षा अधिकारी