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नाव की व्यवस्था न होने से कई समस्याओं से जूझ रहे बाढ़ पीड़ित

घाघरा के बढ़ते जल स्तर को देखते हुए क्षेत्र के चांदपुर पुरानी बस्ती कोलकला बिन्द बस्ती पुराना चितविसांव रामपुर नम्बरी आदि गांव के लोग सकते में हैं। बाढ़ के कहर से बचने के लिए लोग पशुओं की सुरक्षा के लिए ठिकाने के तलाश में जुट गए हैं। बाढ के पानी से घिरे गांव के लोगो के लिए शासन स्तर से अभी तक कोई नाव की कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Sep 2019 06:38 PM (IST)Updated: Mon, 23 Sep 2019 06:38 PM (IST)
नाव की व्यवस्था न होने से कई समस्याओं से जूझ रहे बाढ़ पीड़ित
नाव की व्यवस्था न होने से कई समस्याओं से जूझ रहे बाढ़ पीड़ित

जागरण संवाददाता, सहतवार (बलिया) : घाघरा के बढ़ते जल स्तर को देखते हुए क्षेत्र के चांदपुर, पुरानी बस्ती, कोलकला बिन्द बस्ती, पुराना चितविसांव, रामपुर नम्बरी आदि गांव के लोग सकते में हैं। बाढ़ के कहर से बचने के लिए लोग पशुओं की सुरक्षा के लिए ठिकाने के तलाश में जुट गए हैं।  बाढ के पानी से घिरे गांव के लोगो के लिए शासन स्तर से अभी तक कोई नाव की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। कई बस्तियों से जुड़ने वाले सम्पर्क मार्ग पानी में डूब गए हैं। जिससे लोगों को पशुओं के चारे के लिए काफी दिक्कत हो रही है। इसको लेकर बस्ती के लोगों में काफी आक्रोश है। नाव के अभव में बाढ़ पीड़ित अपने पशुओं के लिए चारा का इंतजाम भी नहीं कर पा रहे हैं।

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घाघरा के जलस्तर में वृद्धि से तटवर्ती ग्रामीण भयभीत हैं। जलस्तर के बढ़ाव से टीएस बंधा के डेंजर जोन तिलापुर में बंधे पर नदी का दबाव बढ़ रहा है। -नाव के अभाव में रात भर तड़पता रहा विकलांग मरीज

जासं, रेवती : घाघरा के बाढ़ से घिरे धूपनाथ व बैजनाथ के डेरा गांव की बस्ती के लोगों को नाव की व्यवस्था नहीं होने से उन्हें भोजन, दवा तथा मवेशियों के लिए चारा की विकट समस्या उत्पन्न हो गई है। नाव के अभाव में बुखार व दर्द से पीड़ित धूपनाथ के डेरा निवासी विकलांग प्रमोद कुमार यादव (20 वर्ष) पूरी रात तड़पता रहे। घर के लोग साधन के अभाव में उन्हें कहीं उपचार के लिए नहीं ले जा सके। घर में ही देशी तरीके से रात भर उपचार होता रहा। सोमवार को दिन में पूर्व प्रधान धूपनाथ यादव द्वारा एसडीएम बैरिया दुष्यंत कूमार मौर्य को सूचना दिए जाने के बाद दोपहर में नाव की व्यवस्था हुई जिसके बाद उक्त मरीज को उपचार के लिए परिजन बाहर लेकर गए।


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