पटाखों की सज गई दुकानें, जुटने लगे शौकीन
बलिया: नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी पटाखों की दुकानें सज गई हैं। नगर में रामलीला मैदान में दर्जनों दुकानें लगी हैं तो ग्रामीण क्षेत्रों के चट्टी-चौराहों पर भी पटाखों की बिक्री शुरू हो गई है।
जागरण संवाददाता, बलिया: नगर सहित ग्रामीण क्षेत्रों में भी पटाखों की दुकानें सज गई हैं। नगर में रामलीला मैदान में दर्जनों दुकानें लगी हैं तो ग्रामीण क्षेत्रों के चट्टी-चौराहों पर भी पटाखों की बिक्री शुरू हो गई है। रामलीला मैदान में दुकानदार एक से बढ़कर पटाखे ले आए हैं जिन्हें खरीदने के लिए पूरे दिन लोगों की भीड़ लग रही है। सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन व तमाम सामाजिक व सरकारी संगठनों के पर्यावरण की दुहाई के बावजूद आतिशबाजी के शौकीनों के दिल मे पटाखों का चाह बदस्तूर बनी हुई हैं। दो घंटे की आतिशबाजी के आदेश के अनुपालन को लेकर किसी किस्म की प्रशासनिक तैयारी दिखाई नहीं दे रही हैं। गांव-गांव घूमकर दीपावली के दौरान आतिशबाजी पर रोक लगाने के लिए पुलिस के पास कोई एडवांस प्लान नहीं है। इसके वजह से इस बार सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अनुपालन पुलिस के लिए एक बड़ी समस्या बनी हुई है। पटाखों की कीमतों पर एक नजर--
मुर्गा रॉकेट बड़ा - 700 रुपये
फैंटा आकाशी बम - 300 रुपये
15 आवाज आसमानी बम -600 रुपये
अनार बड़ा पांच पीस -300 रुपये
फुलझड़ी-100 से 300 रुपये
चकरी-300 से 150 तक साइज अनुसार बिना लाइसेंस धड़ल्ले से बेचे जा रहे हैं पटाखे
जासं, दोकटी: सुप्रीम कोर्ट व उत्तर प्रदेश शासन के तरफ से स्पष्ट आदेश है कि बिना उपजिलाधिकारी के अनुमति के बिना पटाखों की बिक्री नहीं हो पाएगी। यदि उपजिलाधिकारी की अनुमति मिल भी जाती है या पटाखों के लाइसेंस होने पर भी उसे रिहायशी जगहों पर बिक्री नहीं किया जा सकता। बावजूद लालगंज बाजार के रिहायशी जगहों पर बिना उपजिलाधिकारी के अनुमति के ही धड़ल्ले से पटाखों की बिक्री हो रही है। लोगों की माने तो यह सब पुलिस से मिलीभगत से ही संभव है। चर्चा तो यहां तक है कि पुलिस इस संदर्भ में प्रत्येक दुकान पर कुछ धनराशि तय कर बिक्री करा रही है।