किसानों ने बनाई डेयरी उत्पादक कंपनी, अब हुए आत्मनिर्भर
जागरण संवाददाता बलिया एकता में अटूट शक्ति होती है। एक दूसरे के खिलाफ काम करने के ब
जागरण संवाददाता, बलिया : एकता में अटूट शक्ति होती है। एक दूसरे के खिलाफ काम करने के बजाय एक दूसरे के सहयोग से हम काम करें तो सफलता निश्चित हो जाती है। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है जिले के सोहांव नारायण किसान उत्पादक संघ ने। नाबार्ड व मां सुरसरी सेवा संस्थान कथरिया के सहयोग से अगस्त 2021 में किसान उत्पादक संघ का गठन किया था। इसमें शामिल 120 सदस्यों ने बैठक कर कुछ नया करने का प्लान बनाया। छह माह पहले नरहीं डेयरी के नाम एक कंपनी खोल दी। कंपनी को खड़ा करने के लिए 120 सदस्यों ने 10 हजार से लेकर 50 हजार तक अंशदान दिया। 25 लाख से कंपनी के माध्यम से कारोबार शुरू किया। आसपास के करीब 300 पशुपालकों को भी सामान्य सदस्य के रूप में जोड़ा। दूध स्टोर करने के लिए मिल्क कूलर स्थापित किया। वितरण के लिए दो मिल्क एटीएम यूनिट खरीदी। सभी मिलकर कार्य करने लगे और छह माह में ही कंपनी ने शहर सहित आसपास के मार्केट में मिल्क एटीएम से दूध बिक्री कर अलग पहचान स्थापित कर दी है। ------ -प्रतिदिन दो हजार लीटर दूध करते बिक्री डेयरी उत्पादन कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी वैभव नारायण राय ने बताया कि कंपनी दो मिल्क एटीएम के माध्यम से 2000 लीटर दूध शहर में बिक्री करती है। पशुपालकों से दूध हम 35 रुपये के रेट में लेकर स्टोर करते हैं। उसे 44 रुपये प्रति लीटर के रेट में बिक्री करते हैं। अब ताजा खोवा और पनीर भी तैयार होने लगा है। खास बात यह कि कंपनी पनीर और खोवा ताजा प्रदान करती है। गुणवत्ता की भी पूरी गारंटी रहती है। ------ -अंशदान के हिसाब से मुनाफे में बंटवारा कंपनी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने बताया मुनाफे का बंटवारा छह माह पर होगा। अभी बंटवारा नहीं हुआ है, लेकिन नियम पहले से बना दिए गए हैं। मान लीजिए 120 सदस्यों में किसी ने 50 हजार शेयर लगाया है तो 25 लाख के हिसाब से उसका शेयर दो फीसद होता है। सभी खर्च काटकर छह माह में कंपनी को यदि 10 लाख की आय होती है तो 50 हजार वाले शेयरदाता को 10 लाख का दो फीसद मुनाफा यानि 20 हजार रुपये मिलेंगे। जिसने 10 हजार रुपये लगाया है, उसका अंशदान 0.4 फीसद होता है। 10 लाख का 0.4 फीसद यानि संबंधित को 4000 रुपये मिलेंगे। ------ -पशुपालकों का सहयोग करती है कंपनी मां सुरसरी सेवा संस्थान कथरिया के सचिव डा. सुधीर कुमार सिंह ने बताया कंपनी पशुओं के लिए दवा का इंतजाम भी कराती है। आर्थिक तंगी वाले पशुपालकों को अग्रिम धनराशि भी सहयोग में देती है। इसलिए पशुपालन कंपनी को ही नियमित दूध देते हैं।